Friday 10 June 2022

कविता. ४४६८. अरमानों को लम्हों कि।

                               अरमानों को लम्हों कि।

अरमानों को लम्हों कि रोशनी सहारा दिलाती है किनारों को आशाओं कि लहर उमंग सुनाती है कदमों को दास्तानों कि कोशिश अल्फाज दिलाती है।

अरमानों को लम्हों कि कोशिश एहसास दिलाती है नजारों को अदाओं कि समझ परख देकर जाती है जज्बातों को दिशाओं कि उम्मीद अल्फाज दिलाती है।

अरमानों को लम्हों कि पुकार आस दिलाती है लहरों को कदमों कि आहट कोशिश सुनाती है तरानों को अंदाजों कि मुस्कान अल्फाज दिलाती है।

अरमानों को लम्हों कि सौगात तलाश दिलाती है सपनों को राहों कि सुबह एहसास सुनाती है उजालों को इशारों कि सोच अल्फाज दिलाती है।

अरमानों को लम्हों कि मुस्कान अदा दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग नजारा देकर जाती है लहरों को तरानों कि सुबह अल्फाज दिलाती है।

अरमानों को लम्हों कि आवाज पुकार दिलाती है कदमों को आवाजों कि धून सरगम सुनाती है किनारों को आशाओं कि पहचान अल्फाज दिलाती है।

अरमानों को लम्हों कि सोच इरादा दिलाती है उम्मीदों को दास्तानों कि सुबह मुस्कान देकर जाती है जज्बातों को अदाओं कि समझ अल्फाज दिलाती है।

अरमानों को लम्हों कि आस दास्तान दिलाती है खयालों को तरानों कि राह परख देकर जाती है आवाजों को बदलावों कि सौगात अल्फाज दिलाती है।

अरमानों को लम्हों कि कोशिश सौगात दिलाती है लहरों को कदमों कि सोच बदलाव सुनाती है तरानों को अंदाजों कि राह अल्फाज दिलाती है।

अरमानों को लम्हों कि परख पहचान दिलाती है कदमों को अदाओं कि समझ कोशिश देकर जाती है लहरों को अफसानों कि सुबह अल्फाज दिलाती है।

 

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