Wednesday 29 June 2022

कविता. ४४८७. लहरों से आशाओं कि कोई।

                                      लहरों से आशाओं कि कोई।

लहरों से आशाओं कि कोई कहानी मिलती है अंदाजों से उम्मीदों को राह सुहानी मिलती है सपनों को नजारों कि पहचान इशारे देकर चलती है।

लहरों से आशाओं कि कोई सरगम मिलती है तरानों से दिशाओं को रोशनी सुहानी मिलती है खयालों को अफसानों कि सौगात इशारे देकर चलती है।

लहरों से आशाओं कि कोई किरण मिलती है जज्बातों से अल्फाजों को परख सुहानी मिलती है इरादों को राहों कि तलाश इशारे देकर चलती है।

लहरों से आशाओं कि कोई सोच मिलती है आवाजों से बदलावों को उमंग सुहानी मिलती है एहसासों को अदाओं कि समझ इशारे देकर चलती है।

लहरों से आशाओं कि कोई समझ मिलती है सपनों से उजालों को पहचान सुहानी मिलती है दास्तानों को जज्बातों कि सौगात इशारे देकर चलती है।

लहरों से आशाओं कि कोई कोशिश मिलती है राहों से खयालों को सुबह सुहानी मिलती है तरानों को अंदाजों कि सौगात इशारे देकर चलती है।

लहरों से आशाओं कि कोई तलाश मिलती है लम्हों से कदमों को आवाज सुहानी मिलती है दिशाओं को बदलावों कि आस इशारे देकर चलती है।

लहरों से आशाओं कि कोई पुकार मिलती है नजारों से अफसानों को राह सुहानी मिलती है अदाओं को किनारों कि सोच इशारे देकर चलती है।

लहरों से आशाओं कि कोई सुबह मिलती है तरानों से दिशाओं को मुस्कान सुहानी मिलती है अल्फाजों को आवाजों कि पहचान इशारे देकर चलती है।

लहरों से आशाओं कि कोई कोशिश मिलती है राहों से अंदाजों को पुकार सुहानी मिलती है खयालों को उम्मीदों कि सरगम इशारे देकर चलती है।

 

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