Sunday 26 June 2022

कविता. ४४८४. जज्बात को मुस्कान कि।

                             जज्बात को मुस्कान कि।

जज्बात को मुस्कान कि लहर एहसास देकर चलती है अदाओं को सपनों कि सरगम बदलाव दिलाती है कोशिश संग आशाओं कि परख पहचान सुनाती है।

जज्बात को मुस्कान कि आस किनारा देकर चलती है तरानों को उम्मीदों कि सोच इरादा दिलाती है दिशाओं संग आवाजों कि धून पहचान सुनाती है।

जज्बात को मुस्कान कि दास्तान अल्फाज देकर चलती है कदमों को आवाजों कि धाराएं अंदाज दिलाती है अदाओं संग एहसासों कि सौगात पहचान सुनाती है।

जज्बात को मुस्कान कि उड़ान तराना देकर चलती है किनारों को आशाओं कि पुकार सहारा दिलाती है सपनों संग आसमानों कि रंगत पहचान सुनाती है।

जज्बात को मुस्कान कि कोशिश तलाश देकर चलती है बदलावों को इरादों कि रोशनी राह दिलाती है लम्हों संग नजारों कि सुबह पहचान सुनाती है।

जज्बात को मुस्कान कि सोच अफसाना देकर चलती है अंदाजों को अरमानों कि राह उजाला दिलाती है किनारों संग दास्तानों कि कोशिश पहचान सुनाती है।

जज्बात को मुस्कान कि उमंग आवाज देकर चलती है इशारों को अंदाजों कि सौगात बदलाव दिलाती है लहरों संग अफसानों कि सोच पहचान सुनाती है।

जज्बात को मुस्कान कि उम्मीद आस देकर चलती है दिशाओं को किनारों कि आहट अल्फाज दिलाती है आवाजों संग खयालों कि उमंग पहचान सुनाती है।

जज्बात को मुस्कान कि राह अहमियत देकर चलती है उम्मीदों को इरादों कि तलाश खयाल दिलाती है अरमानों संग दास्तानों कि पुकार पहचान सुनाती है।

जज्बात को मुस्कान कि सुबह सोच देकर चलती है अंदाजों को इशारों कि सौगात कोशिश दिलाती है बदलावों संग कदमों कि सरगम पहचान सुनाती है।

 

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