Wednesday 8 June 2022

कविता. ४४६६. रोशनी कि पहचान।

                              रोशनी कि पहचान।

रोशनी कि पहचान इशारे कई देकर जाती है जज्बातों को दिशाओं कि सोच मुस्कान दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश अहमियत देती है।

रोशनी कि पहचान उजाले कई देकर जाती है अदाओं को सपनों कि पुकार कोशिश दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात अहमियत देती है।

रोशनी कि पहचान तराने कई देकर जाती है राहों को अरमानों कि धाराएं अफसाना दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग अहमियत देती है।

रोशनी कि पहचान उम्मीदे कई देकर जाती है कदमों को आवाजों कि सोच सहारा दिलाती है किनारों को आशाओं कि सुबह अहमियत देती है।

रोशनी कि पहचान किनारे कई देकर जाती है इशारों को लहरों कि सरगम एहसास दिलाती है आवाजों को लम्हों कि रोशनी अहमियत देती है।

रोशनी कि पहचान इरादे कई देकर जाती है अदाओं को खयालों कि उम्मीद आवाज दिलाती है सपनों को नजारों कि सोच अहमियत देती है।

रोशनी कि पहचान अफसाने कई देकर जाती है नजारों को अदाओं कि समझ सरगम दिलाती है इरादों को अंदाजों कि राह अहमियत देती है।

रोशनी कि पहचान लम्हे कई देकर जाती है आशाओं को कदमों कि तलाश बदलाव दिलाती है कोशिश को उम्मीदों कि सुबह अहमियत देती है।

रोशनी कि पहचान आवाजे कई देकर जाती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग अरमान दिलाती है सपनों को अदाओं कि समझ अहमियत देती है।

रोशनी कि पहचान नजारे कई देकर जाती है खयालों को उम्मीदों कि सुबह इशारा दिलाती है आशाओं को किनारों कि सौगात अहमियत देती है।

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