Saturday, 4 June 2022

कविता. ४४६२. उम्मीदों से कोई आस।

                              उम्मीदों से कोई आस।

उम्मीदों से कोई आस बदलाव सुनाती है नजारों को एहसासों कि तलाश कहानी दिलाती है सपनों को अरमानों कि धाराएं अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों से कोई आस खयाल सुनाती है राहों को अल्फाजों कि सोच सरगम दिलाती है दिशाओं को इरादों कि मुस्कान अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों से कोई आस पहचान सुनाती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग अरमान दिलाती है लम्हों को कदमों कि तलाश अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों से कोई आस कोशिश सुनाती है तरानों को अंदाजों कि मुस्कान रोशनी दिलाती है दास्तानों को नजारों कि परख अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों से कोई आस सौगात सुनाती है लहरों को आवाजों कि धून एहसास दिलाती है आशाओं को लम्हों कि कहानी अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों से कोई आस तराना सुनाती है उजालों को कदमों कि सोच इरादा दिलाती है अंदाजों को आवाजों कि धून अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों से कोई आस दास्तान सुनाती है नजारों को अदाओं कि समझ बदलाव दिलाती है कदमों को आशाओं कि सरगम अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों से कोई आस पुकार सुनाती है अंदाजों को इरादों कि मुस्कान रोशनी दिलाती है राहों को एहसासों कि कहानी अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों से कोई आस सपना सुनाती है राहों को दिशाओं कि उमंग अरमान दिलाती है नजारों को अदाओं कि कोशिश अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों से कोई आस अहमियत सुनाती है आवाजों को लम्हों कि सौगात पुकार दिलाती है लहरों को अल्फाजों कि समझ अफसाना सुनाती है।

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