Wednesday 1 June 2022

कविता. ४४५९. सुबह को अंदाजों कि।

                           सुबह को अंदाजों कि।

सुबह को अंदाजों कि सोच इरादा दिलाती है कदमों को दास्तानों कि पहचान मुस्कान जगाती है किनारों को आशाओं कि लहर एहसास देकर जाती है।

सुबह को अंदाजों कि आस खयाल दिलाती है सपनों को अदाओं कि समझ आवाज जगाती है नजारों को एहसासों कि तलाश एहसास देकर जाती है।

सुबह को अंदाजों कि सौगात तराना दिलाती है अंदाजों को इरादों कि कोशिश बदलाव जगाती है आशाओं को अदाओं कि समझ एहसास देकर जाती है।

सुबह को अंदाजों कि मुस्कान अरमान दिलाती है लम्हों को दिशाओं कि उमंग अहमियत जगाती है बदलावों को उम्मीदों कि सोच एहसास देकर जाती है।

सुबह को अंदाजों कि कोशिश सहारा दिलाती है उजालों को आवाजों कि धून इशारा जगाती है जज्बातों को दिशाओं कि पहचान एहसास देकर जाती है।

सुबह को अंदाजों कि उमंग आस दिलाती है नजारों को दास्तानों कि तलाश किनारा जगाती है सपनों को अंदाजों कि राह एहसास देकर जाती है।

सुबह को अंदाजों कि रोशनी खयाल दिलाती है इशारों को अरमानों कि सोच पहचान जगाती है कदमों को आवाजों कि धून एहसास देकर जाती है।

सुबह को अंदाजों कि आवाज जज्बात दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना जगाती है किनारों को खयालों कि सरगम एहसास देकर जाती है।

सुबह को अंदाजों कि तलाश रोशनी दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात उमंग जगाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग एहसास देकर जाती है।

सुबह को अंदाजों कि राह बदलाव दिलाती है किनारों को आशाओं कि परख पहचान जगाती है रोशनी को लहरों कि पुकार एहसास देकर जाती।

 

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१६५. उम्मीदों को किनारों की।

                               उम्मीदों को किनारों की। उम्मीदों को किनारों की सौगात इरादा देती है आवाजों को अदाओं की पुकार पहचान दिलाती है द...