Tuesday 28 June 2022

कविता. ४४८६. एहसास कोई दिशाओं कि।

                                    एहसास कोई दिशाओं कि।

एहसास कोई दिशाओं कि उमंग बनकर बहता है आशाओं को अदाओं कि समझ लहर दिलाकर चलती है तरानों को उम्मीदों कि मुस्कान सुनाती रहती है।

एहसास कोई दिशाओं कि आस बनकर बहता है किनारों को आवाजों कि पुकार सोच दिलाकर चलती है उजालों को कदमों कि मुस्कान सुनाती रहती है।

एहसास कोई दिशाओं कि सुबह बनकर बहता है इशारों को अरमानों कि धारा सहारा दिलाकर चलती है उम्मीदों को तरानों कि मुस्कान सुनाती रहती है।

एहसास कोई दिशाओं कि उम्मीद बनकर बहता है कदमों को अंदाजों कि सोच तलाश दिलाकर चलती है राहों को नजारों कि मुस्कान सुनाती रहती है।

एहसास कोई दिशाओं कि सोच बनकर बहता है कोशिश को खयालों कि सरगम सौगात दिलाकर चलती है जज्बातों को अदाओं कि मुस्कान सुनाती रहती है।

एहसास कोई दिशाओं कि खयाल बनकर बहता है दास्तानों को बदलावों कि उम्मीद आवाज दिलाकर चलती है किनारों को आशाओं कि मुस्कान सुनाती रहती है।

एहसास कोई दिशाओं कि तलाश बनकर बहता है तरानों को कदमों कि आहट अफसाना दिलाकर चलती है राहों को किनारों कि मुस्कान सुनाती रहती है।

एहसास कोई दिशाओं कि सौगात बनकर बहता है नजारों को अदाओं कि सौगात पहचान दिलाकर चलती है आवाजों को दास्तानों कि मुस्कान सुनाती रहती है।

एहसास कोई दिशाओं कि राह बनकर बहता है उजालों को लम्हों कि रोशनी खयाल दिलाकर चलती है आशाओं को नजारों कि मुस्कान सुनाती रहती है।

एहसास कोई दिशाओं कि इशारा बनकर बहता है अदाओं को लहरों कि पुकार अल्फाज दिलाकर चलती है अंदाजों को इरादों कि मुस्कान सुनाती रहती है।

 

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