Monday 20 June 2022

कविता. ४४७८. सपनों कि सरगम अक्सर।

                           सपनों कि सरगम अक्सर।

सपनों कि सरगम अक्सर आशाओं कि मुस्कान से कोशिश सुनाती है उजालों को अल्फाजों कि सोच किनारा जताती है कदमों को आहट मिलती है।

सपनों कि सरगम अक्सर आवाजों कि धून से समझ सुनाती है तरानों को अंदाजों कि सौगात रोशनी दिलाती है अफसानों को आहट मिलती है।

सपनों कि सरगम अक्सर लम्हों कि कहानी से आस सुनाती है नजारों को अदाओं कि सुबह एहसास दिलाती है किनारों को आहट मिलती है।

सपनों कि सरगम अक्सर लहरों कि पुकार से अंदाज सुनाती है बदलावों को इशारों कि आस नजारा दिलाती है दिशाओं को आहट मिलती है।

सपनों कि सरगम अक्सर उम्मीदों कि सौगात से सुबह सुनाती है अरमानों को आशाओं कि उमंग जज्बात दिलाती है इशारों को आहट मिलती है।

सपनों कि सरगम अक्सर अंदाजों कि कोशिश से अरमान सुनाती है अदाओं को खयालों कि राह आवाज दिलाती है लहरों को आहट मिलती है।

सपनों कि सरगम अक्सर कदमों कि सुबह से अफसाना सुनाती है दिशाओं को जज्बातों कि पहचान किनारा दिलाती है लम्हों को आहट मिलती है।

सपनों कि सरगम अक्सर अदाओं कि समझ से बदलाव सुनाती है अल्फाजों को तरानों कि रोशनी अफसाना दिलाती है राहों को आहट मिलती है।

सपनों कि सरगम अक्सर किनारों कि सोच से अहमियत सुनाती है आवाजों को कदमों कि आस सुबह दिलाती है नजारों को आहट मिलती है।

सपनों कि सरगम अक्सर इशारों कि पहचान से आस सुनाती है अंदाजों को इरादों कि मुस्कान दास्तान दिलाती है अल्फाजों को आहट मिलती है।

 

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