Friday 30 September 2022

कविता. ४५८०. जज्बात को आशाओं कि।

                                           जज्बात को आशाओं कि।

जज्बात को आशाओं कि सरगम लहर दिलाती है कदमों को अदाओं कि परख पहचान सुनाती है आवाजों कि धून अक्सर एहसासों कि रोशनी देती है।

जज्बात को आशाओं कि सुबह दास्तान दिलाती है अंदाजों को किनारों कि सोच सरगम सुनाती है तरानों कि पहचान अक्सर उजालों कि रोशनी देती है।

जज्बात को आशाओं कि राह अफसाना दिलाती है लहरों को इशारों कि पुकार कोशिश सुनाती है लम्हों कि आहट अक्सर सपनों कि रोशनी देती है।

जज्बात को आशाओं कि सौगात किनारा दिलाती है नजारों को दिशाओं कि अहमियत अल्फाज सुनाती है आवाजों कि धून अक्सर अदाओं कि रोशनी देती है।

जज्बात को आशाओं कि सोच मुस्कान दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ अरमान सुनाती है इशारों कि लहर अक्सर नजारों कि रोशनी देती है।

जज्बात को आशाओं कि समझ सपना दिलाती है अदाओं को कदमों कि आहट बदलाव सुनाती है खयालों कि सोच अक्सर दास्तानों कि रोशनी देती है।

जज्बात को आशाओं कि सरगम सुबह दिलाती है दास्तानों को अदाओं कि परख पहचान सुनाती है कदमों कि पुकार अक्सर उम्मीदों कि रोशनी देती है।

जज्बात को आशाओं कि तलाश इशारा दिलाती है खयालों को अंदाजों कि धारा अफसाना सुनाती है तरानों कि सौगात अक्सर इरादों कि रोशनी देती है।

जज्बात को आशाओं कि पहचान किनारा दिलाती है उजालों को सपनों कि आस सरगम सुनाती है बदलावों कि कोशिश अक्सर दिशाओं कि रोशनी देती है।

जज्बात को आशाओं कि पुकार आस दिलाती है दास्तानों को एहसासों कि सरगम आवाज सुनाती है खयालों कि समझ अक्सर अंदाजों कि रोशनी देती है।

Thursday 29 September 2022

कविता. ४५७९. किनारों से जुडकर लम्हों कि।

                                किनारों से जुडकर लम्हों कि।

किनारों से जुडकर लम्हों कि पहचान इशारा दिलाती है आशाओं कि आहट से कदमों कि कोशिश अरमान सुनाती है उम्मीदों को समझ अल्फाज देती है।

किनारों से जुडकर लम्हों कि रोशनी एहसास दिलाती है कदमों कि सौगात से खयालों कि आस अहमियत सुनाती है आवाजों को तलाश अल्फाज देती है।

किनारों से जुडकर लम्हों कि आवाज तराना दिलाती है नजारों कि सोच से अफसानों कि समझ सुबह सुनाती है अंदाजों को जज्बात अल्फाज देती है।

किनारों से जुडकर लम्हों कि लहर सुबह दिलाती है उम्मीदों कि पहचान से अदाओं कि परख खयाल सुनाती है तरानों को उमंग अल्फाज देती है।

किनारों से जुडकर लम्हों कि राह अरमान दिलाती है उजालों कि सरगम से इशारों कि पुकार कोशिश सुनाती है अरमानों को दास्तान अल्फाज देती है।

किनारों से जुडकर लम्हों कि आस नजारा दिलाती है कदमों कि आहट से अरमानों कि सोच एहसास सुनाती है उजालों को सरगम अल्फाज देती है।

किनारों से जुडकर लम्हों कि कोशिश मुस्कान दिलाती है राहों कि पुकार से दिशाओं कि समझ सपना सुनाती है आशाओं को सौगात अल्फाज देती है।

किनारों से जुडकर लम्हों कि सौगात सहारा दिलाती है जज्बातों कि मुस्कान से आवाजों कि धून आस सुनाती है इशारों को परख अल्फाज देती है।

किनारों से जुडकर लम्हों कि अदा बदलाव दिलाती है अंदाजों कि रोशनी से उम्मीदों कि पहचान तलाश सुनाती है कदमों को आस अल्फाज देती है।

किनारों से जुडकर लम्हों कि मुस्कान दास्तान दिलाती है नजारों कि समझ से खयालों कि पुकार एहसास सुनाती है तरानों को आवाज अल्फाज देती है।

Wednesday 28 September 2022

कविता. ४५७८. इशारों को लम्हों कि।

                                  इशारों को लम्हों कि।

इशारों को लम्हों कि कहानी सहारे देती है कदमों कि सोच अक्सर आशाओं कि तलाश दिलाती है नजारों से जुडकर सपनों कि कोशिश देती है।

इशारों को लम्हों कि रोशनी तराने देती है अंदाजों कि सरगम अक्सर बदलावों कि सोच दिलाती है जज्बातों से जुडकर खयालों कि कोशिश देती है।

इशारों को लम्हों कि पुकार सौगात देती है अदाओं कि परख अक्सर तरानों कि आस दिलाती है लहरों से जुडकर आवाजों कि कोशिश देती है।

इशारों को लम्हों कि राह मुस्कान देती है आशाओं कि सुबह अक्सर दिशाओं कि समझ दिलाती है सपनों से जुडकर इरादों कि कोशिश देती है।

इशारों को लम्हों कि आहट अरमान देती है दास्तानों कि परख अक्सर आवाजों कि धून दिलाती है एहसासों से जुडकर उजालों कि कोशिश देती है।

इशारों को लम्हों कि आस पहचान देती है अदाओं कि पुकार अक्सर उम्मीदों कि रोशनी दिलाती है आशाओं से जुडकर लहरों कि कोशिश देती है।

इशारों को लम्हों कि परख उमंग देती है कदमों कि आहट अक्सर सपनों कि सुबह दिलाती है अंदाजों से जुडकर इरादों कि कोशिश देती है।

इशारों को लम्हों कि सरगम आवाज देती है किनारों कि सोच अक्सर दास्तानों कि पुकार दिलाती है एहसासों से जुडकर नजारों कि कोशिश देती है।

इशारों को लम्हों कि लहर अरमान देती है खयालों कि समझ अक्सर उमंग कि रोशनी दिलाती है उम्मीदों से जुडकर अल्फाजों कि कोशिश देती है।

इशारों को लम्हों कि मुस्कान सहारा देती है नजारों कि लहर अक्सर खयालों कि आस दिलाती है अफसानों से जुडकर आशाओं कि कोशिश देती है।






 

Tuesday 27 September 2022

कविता. ४५७७. उजालों के आशाओं कि।

                                       उजालों के आशाओं कि।

उजालों के आशाओं कि पहचान इशारा दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ सहारा देकर जाती है जज्बातों को कदमों कि आहट पुकार सुनाती है।

उजालों के आशाओं कि सरगम सुबह दिलाती है लहरों को इशारों कि सौगात कोशिश देकर जाती है आवाजों को राहों कि पहचान पुकार सुनाती है।

उजालों के आशाओं कि सौगात सपना दिलाती है इशारों को दास्तानों कि परख रोशनी देकर जाती है अंदाजों को किनारों कि मुस्कान पुकार सुनाती है।

उजालों के आशाओं कि कोशिश अदा दिलाती है बदलावों को उम्मीदों कि पहचान इरादा देकर जाती है तरानों को अरमानों कि सोच पुकार सुनाती है।

उजालों के आशाओं कि परख रोशनी दिलाती है किनारों को सपनों कि सुबह दास्तान देकर जाती है कदमों को अदाओं कि सरगम पुकार सुनाती है।

उजालों के आशाओं कि सोच नजारा दिलाती है लहरों को दिशाओं कि समझ सरगम देकर जाती है किनारों को सपनों कि सौगात पुकार सुनाती है।

उजालों के आशाओं कि रोशनी जज्बात दिलाती है राहों को अंदाजों कि आस बदलाव देकर जाती है खयालों को आवाजों कि धून पुकार सुनाती है।

उजालों के आशाओं कि राह आस दिलाती है खयालों को इशारों कि रोशनी सपना देकर जाती है नजारों को राहों कि तलाश पुकार सुनाती है।

उजालों के आशाओं कि मुस्कान किनारा दिलाती है दिशाओं को कदमों कि सोच परख देकर जाती है उम्मीदों को लहरों कि सरगम पुकार सुनाती है।

उजालों के आशाओं कि उमंग लहर दिलाती है दास्तानों को आवाजों कि धून पहचान देकर जाती है दिशाओं को अंदाजों कि आस पुकार सुनाती है।


Monday 26 September 2022

कविता. ४५७६. दास्तान को अंदाजों कि।

                                         दास्तान को अंदाजों कि।

दास्तान को अंदाजों कि लहर अरमान जगाती है उजालों को सपनों कि पुकार आस सुनाती है दिशाओं से खयालों कि समझ बदलाव दिलाती है।

दास्तान को अंदाजों कि कोशिश सहारा जगाती है कदमों को अदाओं कि परख पहचान सुनाती है नजारों से लहरों कि सरगम बदलाव दिलाती है।

दास्तान को अंदाजों कि सुबह सौगात जगाती है दिशाओं को लम्हों कि आस अदा सुनाती है किनारों से सपनों कि राह बदलाव दिलाती है।

दास्तान को अंदाजों कि सोच आवाज जगाती है किनारों को अल्फाजों कि राह अफसाना सुनाती है लम्हों से जज्बातों कि मुस्कान बदलाव दिलाती है।

दास्तान को अंदाजों कि आस खयाल जगाती है उम्मीदों को कदमों कि आहट सरगम सुनाती है आशाओं से एहसासों कि रोशनी बदलाव दिलाती है।

दास्तान को अंदाजों कि राह पुकार जगाती है लम्हों को आशाओं कि पहचान सुबह सुनाती है अदाओं से कदमों कि आहट बदलाव दिलाती है।

दास्तान को अंदाजों कि समझ सपना जगाती है लहरों को इशारों कि रोशनी आवाज सुनाती है तरानों से दिशाओं कि समझ बदलाव दिलाती है।

दास्तान को अंदाजों कि मुस्कान खयाल जगाती है राहों को आवाजों कि धून पुकार सुनाती है अरमानों से उम्मीदों कि लहर बदलाव दिलाती है।

दास्तान को अंदाजों कि सोच अल्फाज जगाती है इशारों को नजारों कि आस सौगात सुनाती है कदमों से आवाजों कि पहचान बदलाव दिलाती है।

दास्तान को अंदाजों कि आस सुबह जगाती है तरानों को आशाओं कि सरगम कोशिश सुनाती है उम्मीदों से सपनों कि अहमियत बदलाव दिलाती है।

Sunday 25 September 2022

कविता. ४५७५. राहों से आशाओं कि।

                                       राहों से आशाओं कि।

राहों से आशाओं कि पुकार सहारा देती है नजारों कि सरगम आवाजों कि धाराएं दिलाती है लम्हों को खयालों कि सुबह पहचान सुनाती है।

राहों से आशाओं कि सरगम मुस्कान देती है कदमों कि आहट उजालों कि सोच दिलाती है लहरों को इशारों कि समझ पहचान सुनाती है।

राहों से आशाओं कि सौगात सुबह देती है दिशाओं कि लहर जज्बातों कि मुस्कान दिलाती है अंदाजों को किनारों कि सोच पहचान सुनाती है।

राहों से आशाओं कि कोशिश बदलाव देती है खयालों कि समझ दास्तानों कि परख दिलाती है उम्मीदों को दिशाओं कि रोशनी पहचान सुनाती है।

राहों से आशाओं कि आस सरगम देती है तरानों कि सुबह आवाजों कि धून दिलाती है अफसानों को अल्फाजों कि पुकार पहचान सुनाती है।

राहों से आशाओं कि परख रोशनी देती है दिशाओं कि समझ अंदाजों कि सरगम दिलाती है लम्हों को आवाजों कि धून पहचान सुनाती है।

राहों से आशाओं कि तलाश इशारा देती है कदमों कि आहट खयालों कि धाराएं दिलाती है उजालों को बदलावों कि आस पहचान सुनाती है।

राहों से आशाओं कि कोशिश समझ देती है किनारों कि सोच अरमानों कि सुबह दिलाती है जज्बातों को अंदाजों कि सौगात पहचान सुनाती है।

राहों से आशाओं कि सोच बदलाव देती है दास्तानों कि परख अदाओं कि सौगात दिलाती है आशाओं को इरादों कि बदलाव पहचान सुनाती है।

राहों से आशाओं कि सुबह दास्तान देती है तरानों कि समझ सपनों कि कोशिश दिलाती है नजारों को खयालों कि सोच पहचान सुनाती है।

Saturday 24 September 2022

कविता. ४५७४. तरानों से अदाओं कि।

                                       तरानों से अदाओं कि।

तरानों से अदाओं कि तलाश उमंग दिलाती है लहरों को इशारों कि सौगात पहचान सुनाती है जज्बातों कि राह से अरमानों कि सुबह दिलाती है।

तरानों से अदाओं कि सरगम उम्मीद दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ सपना सुनाती है लम्हों कि आहट से आवाजों कि धून दिलाती है।

तरानों से अदाओं कि सोच आस दिलाती है नजारों को अंदाजों कि सोच कोशिश सुनाती है कदमों कि सोच से किनारों कि राह दिलाती है।

तरानों से अदाओं कि परख किनारा दिलाती है बदलावों को इशारों कि पुकार दास्तान सुनाती है नजारों कि पहचान से उजालों कि आस दिलाती है।

तरानों से अदाओं कि सौगात खयाल दिलाती है एहसासों को उम्मीदों कि लहर मुस्कान सुनाती है लहरों कि सरगम से अंदाजों कि कोशिश दिलाती है।

तरानों से अदाओं कि सुबह तराना दिलाती है उजालों को सपनों कि समझ आवाज सुनाती है दिशाओं कि समझ से खयालों कि सोच दिलाती है।

तरानों से अदाओं कि उम्मीद लम्हा दिलाती है दिशाओं को इशारों कि रोशनी अरमान सुनाती है उजालों कि परख से इरादों कि अहमियत दिलाती है।

तरानों से अदाओं कि राह अफसाना दिलाती है लहरों को नजारों कि सोच अल्फाज सुनाती है उमंग कि सौगात से दास्तानों कि परख दिलाती है।

तरानों से अदाओं कि लहर सपना दिलाती है अदाओं को बदलावों कि सौगात आस सुनाती है खयालों कि सुबह से नजारों कि पहचान दिलाती है।

तरानों से अदाओं कि सरगम कोशिश दिलाती है उम्मीदों को किनारों कि मुस्कान दास्तान सुनाती है लहरों कि सोच से आवाजों कि उमंग दिलाती है।

Friday 23 September 2022

कविता. ४५७३. किनारों से अक्सर नजारों कि।

                                       किनारों से अक्सर नजारों कि।

किनारों से अक्सर नजारों कि सरगम मुस्कान दिलाती है कदमों कि आहट से जुडकर आशाओं कि पहचान इशारा सुनाती है अदाओं कि परख दिलाती है।

किनारों से अक्सर नजारों कि सुबह कोशिश दिलाती है लम्हों कि रोशनी से जुडकर आवाजों कि धून अहमियत सुनाती है अंंदाजों कि पहचान दिलाती है।

किनारों से अक्सर नजारों कि सोच अल्फाज दिलाती है अदाओं कि परख से जुडकर अंदाजों कि सौगात सहारा सुनाती है जज्बातों कि सुबह दिलाती है।

किनारों से अक्सर नजारों कि मुस्कान सरगम दिलाती है दिशाओं कि समझ से जुडकर राहों कि पुकार सौगात सुनाती है तरानों कि सोच दिलाती है।

किनारों से अक्सर नजारों कि तलाश आस दिलाती है लहरों कि सरगम से जुडकर उजालों कि सुबह एहसास सुनाती है इशारों कि सौगात दिलाती है।

किनारों से अक्सर नजारों कि कोशिश तलाश दिलाती है लम्हों कि सोच से जुडकर उम्मीदों कि लहर अफसाना सुनाती है दास्तानों कि मुस्कान दिलाती है।

किनारों से अक्सर नजारों कि सरगम अरमान दिलाती है जज्बातों कि आहट से जुडकर खयालों कि आस उडान सुनाती है लम्हों कि रोशनी दिलाती है।

किनारों से अक्सर नजारों कि सोच अल्फाज दिलाती है उम्मीदों कि लहर से जुडकर आशाओं कि तलाश इशारा सुनाती है आवाजों कि धून दिलाती है।

किनारों से अक्सर नजारों कि परख आस दिलाती है दास्तानों कि परख से जुडकर अंदाजों कि सौगात कोशिश सुनाती है लम्हों कि पुकार दिलाती है।

किनारों से अक्सर नजारों कि सौगात सुबह दिलाती है दिशाओं कि समझ से जुडकर उजालों कि सोच अरमान सुनाती है सपनों कि सरगम दिलाती है।

Thursday 22 September 2022

कविता. ४५७२. उम्मीद कोई।

                                                      उम्मीद कोई।

 उम्मीद कोई कहानी सुनाकर चलती है आशाओं को कदमों कि आहट इशारा दिलाती है दास्तानों को अदाओं कि समझ तलाश देकर जाती है।

उम्मीद कोई आवाज सुनाकर चलती है किनारों को सपनों कि सुबह अरमान दिलाती है नजारों को दिशाओं कि अहमियत तलाश देकर जाती है।

उम्मीद कोई लम्हा सुनाकर चलती है अंदाजों को खयालों कि समझ अफसाना दिलाती है जज्बातों को अल्फाजों कि पुकार तलाश देकर जाती है।

उम्मीद कोई लहर सुनाकर चलती है दास्तानों को एहसासों कि रोशनी पुकार दिलाती है लम्हों को किनारों कि सोच तलाश देकर जाती है।

उम्मीद कोई कोशिश सुनाकर चलती है बदलावों को तरानों कि पहचान किनारा दिलाती है लहरों को इशारों कि आस तलाश देकर जाती है।

उम्मीद कोई आस सुनाकर चलती है अल्फाजों को उजालों कि सुबह दास्तान दिलाती है इरादों को आशाओं कि सरगम तलाश देकर जाती है।

उम्मीद कोई समझ सुनाकर चलती है दिशाओं को नजारों कि सोच आस दिलाती है इशारों को आवाजों कि पहचान तलाश देकर जाती है।

उम्मीद कोई सरगम सुनाकर चलती है तरानों को अंदाजों कि सौगात कोशिश दिलाती है दास्तानों को एहसासों कि सोच तलाश देकर जाती है।

उम्मीद कोई सुबह सुनाकर चलती है आशाओं को जज्बातों कि आस सरगम दिलाती है तरानों को अरमानों कि पुकार तलाश देकर जाती है।

उम्मीद कोई खयाल सुनाकर चलती है नजारों को दिशाओं कि समझ सपना दिलाती है लम्हों को अल्फाजों कि सौगात तलाश देकर जाती है।

Wednesday 21 September 2022

कविता. ४५७१. राहों को अंदाजों कि।

                                     राहों को अंदाजों कि।

राहों को अंदाजों कि कोशिश अक्सर सरगम दिलाती है लम्हों को खयालों कि सुबह अरमान सुनाती है किनारों को सपनों कि आहट एहसास देती है।

राहों को अंदाजों कि आस अक्सर पहचान दिलाती है नजारों को अरमानों कि पुकार इशारा सुनाती है लहरों को दास्तानों कि रोशनी एहसास देती है।

राहों को अंदाजों कि सरगम अक्सर सुबह दिलाती है जज्बातों को कदमों कि पहचान सहारा सुनाती है उजालों को आशाओं कि आस एहसास देती है।

राहों को अंदाजों कि सौगात अक्सर तराना दिलाती है अदाओं को नजारों कि समझ बदलाव सुनाती है खयालों को दिशाओं कि समझ एहसास देती है।

राहों को अंदाजों कि पुकार अक्सर उमंग दिलाती है इरादों को आशाओं कि रोशनी पहचान सुनाती है लम्हों को दास्तानों कि परख एहसास देती है।

राहों को अंदाजों कि रोशनी अक्सर सरगम दिलाती है उजालों को सपनों कि कोशिश सोच सुनाती है अदाओं को तरानों कि कोशिश एहसास देती है।

राहों को अंदाजों कि उमंग अक्सर लहर दिलाती है उम्मीदों को किनारों कि मुस्कान दास्तान सुनाती है खयालों को अंदाजों कि आस एहसास देती है।

राहों को अंदाजों कि आवाज अक्सर सुबह दिलाती है आशाओं को इशारों कि पहचान आस सुनाती है नजारों को दिशाओं कि सुबह एहसास देती है।

राहों को अंदाजों कि सरगम अक्सर सपना दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ अफसाना सुनाती है कदमों को अदाओं कि पुकार एहसास देती है।

राहों को अंदाजों कि पहचान अक्सर रोशनी दिलाती है लहरों को आवाजों कि धून पुकार सुनाती है दास्तानों को किनारों कि सोच एहसास देती है।

Tuesday 20 September 2022

कविता. ४५७०. दास्तानों को एहसासों कि।

                                    दास्तानों को एहसासों कि।

दास्तानों को एहसासों कि समझ नजारा दिलाती है कोशिश कि मुस्कान से आशाएं अक्सर लकीर देती है तरानों को उम्मीदों कि सौगात सुबह देती है।

दास्तानों को एहसासों कि रोशनी बदलाव दिलाती है लम्हों कि आहट से राहें अक्सर अरमान देती है उजालों को सपनों कि आवाज सुबह देती है।

दास्तानों को एहसासों कि सोच सरगम दिलाती है लहरों कि सौगात से अदाएं अक्सर पुकार देती है इशारों को जज्बातों कि परख सुबह देती है।

दास्तानों को एहसासों कि मुस्कान खयाल दिलाती है नजारों कि पहचान से आवाजे अक्सर सपना देती है अदाओं को उजालों कि मुस्कान सुबह देती है।

दास्तानों को एहसासों कि पुकार सहारा दिलाती है राहों कि तलाश से अदाएं अक्सर पहचान देती है कदमों को आशाओं कि सोच सुबह देती है।

दास्तानों को एहसासों कि सौगात तलाश दिलाती है जज्बातों कि सोच से सरगम अक्सर आस देती है नजारों को खयालों कि रोशनी सुबह देती है।

दास्तानों को एहसासों कि आस अरमान दिलाती है बदलावों कि पुकार से दिशाएं अक्सर उजाला देती है राहों को अंदाजों कि परख सुबह देती है।

दास्तानों को एहसासों कि कोशिश लहर दिलाती है सपनों कि सौगात से आशाएं अक्सर उमंग देती है आशाओं को कदमों कि आहट सुबह देती है।

दास्तानों को एहसासों कि राह सोच दिलाती है लहरों कि समझ से अदाएं अक्सर अहमियत देती है इरादों को उजालों कि सरगम सुबह देती है।

दास्तानों को एहसासों कि रोशनी किनारा दिलाती है नजारों कि परख से उम्मीदें अक्सर तलाश देती है आवाजों को अदाओं कि समझ सुबह देती है।

Monday 19 September 2022

कविता. ४५६९. कदमों संग खयालों कि।

                                       कदमों संग खयालों कि।

कदमों संग खयालों कि समझ सपना दिलाती है अदाओं कि पहचान अक्सर इशारों कि सरगम सुनाती है तरानों पर आवाजों कि धून पुकार दिलाती है।

कदमों संग खयालों कि सौगात कोशिश दिलाती है लहरों कि सरगम अक्सर बदलावों कि सोच सुनाती है इरादों पर आशाओं कि आस पुकार दिलाती है।

कदमों संग खयालों कि परख आस दिलाती है लम्हों कि सुबह अक्सर दिशाओं कि सुबह सुनाती है नजारों पर उजालों कि समझ पुकार दिलाती है।

कदमों संग खयालों कि राह सरगम दिलाती है किनारों कि सोच अक्सर दास्तानों कि पहचान सुनाती है जज्बातों पर उम्मीदों कि लहर पुकार दिलाती है।

कदमों संग खयालों कि मुस्कान दास्तान दिलाती है आशाओं कि राह अक्सर उमंग कि समझ सुनाती है इशारों पर एहसासों कि सोच पुकार दिलाती है।

कदमों संग खयालों कि रोशनी पहचान दिलाती है नजारों कि समझ अक्सर उम्मीदों कि आस सुनाती है लम्हों पर बदलावों कि सौगात पुकार दिलाती है।

कदमों संग खयालों कि अदा अल्फाज दिलाती है दास्तानों कि परख अक्सर जज्बातों कि सोच सुनाती है उम्मीदों पर अंदाजों कि समझ पुकार दिलाती है।

कदमों संग खयालों कि समझ तलाश दिलाती है किनारों कि सुबह अक्सर सपनों कि कोशिश सुनाती है उजालों पर सपनों कि पहचान पुकार दिलाती है।

कदमों संग खयालों कि सरगम कोशिश दिलाती है लम्हों कि रोशनी अक्सर नजारों कि सुबह सुनाती है इशारों पर एहसासों कि आस पुकार दिलाती है।

कदमों संग खयालों कि आवाज उमंग दिलाती है एहसासों कि सोच अक्सर इशारों कि मुस्कान सुनाती है लहरों पर अफसानों कि समझ पुकार दिलाती है।

Sunday 18 September 2022

कविता. ४५६८. उजालों से मुस्कान कि।

                                       उजालों से मुस्कान कि।

उजालों से मुस्कान कि पहचान सहारा देती है नजारों को दिशाओं कि सरगम आस सुनाती है लम्हों कि लकीर संग इशारों के अरमान जगाती है।

उजालों से मुस्कान कि पुकार रोशनी देती है जज्बातों को कदमों कि आहट सौगात सुनाती है तरानों कि पहचान संग आशाओं के अरमान जगाती है।

उजालों से मुस्कान कि सोच आवाज देती है राहों को अंदाजों कि सुबह दास्तान सुनाती है नजारों कि अहमियत संग कदमों के अरमान जगाती है।

उजालों से मुस्कान कि परख सुबह देती है अदाओं को दास्तानों कि समझ सपना सुनाती है जज्बातों कि कोशिश संग नजारों के अरमान जगाती है।

उजालों से मुस्कान कि आस इशारा देती है लहरों को आवाजों कि धून तलाश सुनाती है एहसासों कि सोच संग इरादों के अरमान जगाती है।

उजालों से मुस्कान कि कोशिश बदलाव देती है तरानों को उम्मीदों कि सोच इशारा सुनाती है अंदाजों कि राह संग नजारों के अरमान जगाती है।

उजालों से मुस्कान कि राह अफसाना देती है आशाओं को जज्बातों कि सौगात पुकार सुनाती है दिशाओं कि अहमियत संग कदमों के अरमान जगाती है।

उजालों से मुस्कान कि उमंग आवाज देती है उम्मीदों को किनारों कि सोच एहसास सुनाती है अदाओं कि परख संग नजारों के अरमान जगाती है।

उजालों से मुस्कान कि आस सरगम देती है लम्हों को खयालों कि समझ सपना सुनाती है आवाजों कि पहचान संग दिशाओं के अरमान जगाती है।

उजालों से मुस्कान कि सुबह दास्तान देती है सपनों को नजारों कि सौगात बदलाव सुनाती है जज्बातों कि सोच संग उमंग के अरमान जगाती है।

Saturday 17 September 2022

कविता. ४५६७. सपनों को एहसासों कि।

                                        सपनों को एहसासों कि।

सपनों को एहसासों कि रोशनी मुस्कान दिलाती है सपनों कि पहचान अक्सर इशारा देती है नजारों से अरमानों कि सुबह आस सुनाती है।

सपनों को एहसासों कि समझ नजारा दिलाती है जज्बातों कि सोच अक्सर अफसाना देती है दिशाओं से आवाजों कि पुकार आस सुनाती है।

सपनों को एहसासों कि राह अरमान दिलाती है लम्हों कि आहट अक्सर बदलाव देती है जज्बातों से लहरों कि सरगम आस सुनाती है।

सपनों को एहसासों कि परख सुबह दिलाती है कदमों कि सरगम अक्सर उजाला देती है अंदाजों से आशाओं कि सोच आस सुनाती है।

सपनों को एहसासों कि सोच अल्फाज दिलाती है राहों कि पुकार अक्सर सहारा देती है इशारों से खयालों कि समझ आस सुनाती है।

सपनों को एहसासों कि उमंग पहचान दिलाती है लहरों कि सोच अक्सर खयाल देती है राहों से अफसानों कि रोशनी आस सुनाती है।

सपनों को एहसासों कि सौगात किनारा दिलाती है दिशाओं कि सुबह अक्सर सुबह देती है कदमों से उजालों कि सौगात आस सुनाती है।

सपनों को एहसासों कि उम्मीद इरादा दिलाती है जज्बातों कि मुस्कान अक्सर अहमियत देती है बदलावों से लम्हों कि पुकार आस सुनाती है।

सपनों को एहसासों कि तलाश अफसाना दिलाती है सपनों कि सौगात अक्सर तराना देती है नजारों से उम्मीदों कि लहर आस सुनाती है।

सपनों को एहसासों कि आवाज सरगम दिलाती है अदाओं कि परख अक्सर जज्बात देती है खयालों से आशाओं कि सौगात आस सुनाती है।

Friday 16 September 2022

कविता. ४५६६. लम्हों कि रोशनी अक्सर।

                                 लम्हों कि रोशनी अक्सर।

लम्हों कि रोशनी अक्सर उजालों कि सरगम पुकार दिलाती है सपनों को अरमानों कि अहमियत अफसाना देती है लहरों कि सुबह बदलाव सुनाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर उम्मीदों कि राह अल्फाज दिलाती है नजारों को अंदाजों कि सौगात कोशिश देती है नजारों कि पहचान बदलाव सुनाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर जज्बातों कि सोच सरगम दिलाती है इशारों को आशाओं कि सुबह तलाश देती है कदमों कि आहट बदलाव सुनाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर दास्तानों कि परख मुस्कान दिलाती है आवाजों को इरादों कि सौगात सोच देती है तरानों कि पुकार बदलाव सुनाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर दिशाओं कि समझ सपना‌ दिलाती है अदाओं को तरानों कि पहचान उमंग देती है एहसासों कि आस बदलाव सुनाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर खयालों कि आस तराना दिलाती है खयालों को नजारों कि पहचान इशारा देती है अंदाजों कि सौगात बदलाव सुनाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर दिशाओं कि समझ सुबह दिलाती है जज्बातों को कदमों कि अदा उम्मीद देती है खयालों कि समझ बदलाव सुनाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर लहरों कि कोशिश पहचान दिलाती है आशाओं को किनारों कि सोच सरगम देती है नजारों कि सौगात बदलाव सुनाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर जज्बातों कि सोच अरमान दिलाती है तरानों को उम्मीदों कि लहर पहचान देती है राहों कि पुकार बदलाव सुनाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर तरानों कि पुकार सरगम दिलाती है उजालों को सपनों कि कोशिश परख देती है आशाओं कि सरगम बदलाव सुनाती है।

Thursday 15 September 2022

कविता. ४५६५. कोशिश कोई लहर संग।

                                       कोशिश कोई लहर संग।

कोशिश कोई लहर संग मुस्कान देकर आगे बढती है एहसासों को अरमानों कि समझ इशारे दिलाती रहती है आवाजों कि पुकार से जुडकर पहचान तराने देती है।

कोशिश कोई लहर संग तलाश देकर आगे बढती है दास्तानों को अंदाजों कि सौगात सपना दिलाती रहती है जज्बातों कि सोच से जुडकर अहमियत तराने देती है।

कोशिश कोई लहर संग अरमान देकर आगे बढती है नजारों को दिशाओं कि परख आस दिलाती रहती है इशारों कि रोशनी से जुडकर सरगम तराने देती है।

कोशिश कोई लहर संग सुबह देकर आगे बढती है जज्बातों को कदमों कि आहट सहारा दिलाती रहती है आशाओं कि सरगम से जुडकर पुकार तराने देती है।

कोशिश कोई लहर संग लम्हा देकर आगे बढती है तरानों को अदाओं कि सौगात खयाल दिलाती रहती है अंदाजों कि सुबह से जुडकर सोच तराने देती है।

कोशिश कोई लहर संग सौगात देकर आगे बढती है सपनों को आशाओं कि पुकार आस दिलाती रहती है जज्बातों कि आस से जुडकर सुबह तराने देती है।

कोशिश कोई लहर संग परख देकर आगे बढती है कदमों को दिशाओं कि सौगात तलाश दिलाती रहती है किनारों कि समझ से जुडकर राह तराने देती है।

कोशिश कोई लहर संग पहचान देकर आगे बढती है लम्हों को खयालों कि पहचान राह दिलाती रहती है नजारों कि सौगात से जुडकर उमंग तराने देती है।

कोशिश कोई लहर संग बदलाव देकर आगे बढती है नजारों को इशारों कि आवाज बदलाव दिलाती रहती है उजालों कि आस से जुडकर उम्मीद तराने देती है।

कोशिश कोई लहर संग खयाल देकर आगे बढती है राहों को अल्फाजों कि समझ इरादा दिलाती रहती है अंदाजों कि परख से जुडकर सौगात तराने देती है।

Wednesday 14 September 2022

कविता. ४५६४. कदमों को अदाओं कि।

                                          कदमों को अदाओं कि।

कदमों को अदाओं कि सोच सुबह दिलाती है एहसासों के खयालों कि सरगम सुनाती है तरानों से अंदाजों कि तलाश कोशिश देकर जाती है।

कदमों को अदाओं कि परख रोशनी दिलाती है अंदाजों के अरमानों कि सुबह सुनाती है लम्हों से आशाओं कि सोच कोशिश देकर जाती है।

कदमों को अदाओं कि सरगम पुकार दिलाती है लहरों के आवाजों कि धून सुनाती है नजारों से दिशाओं कि सुबह कोशिश देकर जाती है।

कदमों को अदाओं कि राह अरमान दिलाती है खयालों के अंदाजों कि आस सुनाती है जज्बातों से लम्हों कि पुकार कोशिश देकर जाती है।

कदमों को अदाओं कि सौगात अल्फाज दिलाती है दिशाओं के आशाओं कि सोच सुनाती है अंदाजों से आवाजों कि धून कोशिश देकर जाती है।

कदमों को अदाओं कि लहर अफसाना दिलाती है नजारों के अरमानों कि पुकार सुनाती है बदलावों से अंदाजों कि राह कोशिश देकर जाती है।

कदमों को अदाओं कि समझ आस दिलाती है जज्बातों के राहों कि पहचान सुनाती है अरमानों से आशाओं कि सरगम कोशिश देकर जाती है।

कदमों को अदाओं कि उमंग पहचान दिलाती है इशारों के किनारों कि सोच सुनाती है तरानों से इरादों कि मुस्कान कोशिश देकर जाती है।

कदमों को अदाओं कि सुबह सपना दिलाती है जज्बातों के दास्तानों कि समझ सुनाती है लम्हों से नजारों कि अहमियत कोशिश देकर जाती है।

कदमों को अदाओं कि पुकार रोशनी दिलाती है लम्हों के दिशाओं कि सुबह सुनाती है लहरों से आशाओं कि राह कोशिश देकर जाती है।


Tuesday 13 September 2022

कविता. ४५६३. आशाओं कि सरगम कई।

                                     आशाओं कि सरगम कई।

आशाओं कि सरगम कई दास्ताने देती है लम्हों को खयालों कि पहचान इशारे देती है जज्बातों कि आंधी मन को उम्मीदों के सहारे देती है।

आशाओं कि सरगम कई कोशिशें देती है तरानों को लहरों कि सुबह मुस्कान देती है अरमानों कि पुकार रोशनी को अल्फाजों के सहारे देती है।

आशाओं कि सरगम कई नजारे देती है कदमों को उजालों कि परख सुबह देती है लम्हों कि पहचान दास्तानों को अंदाजों के सहारे देती है।

आशाओं कि सरगम कई इशारे देती है नजारों को दिशाओं कि समझ सौगात देती है नजारों कि सोच दिशाओं को बदलावों के सहारे देती है।

आशाओं कि सरगम कई इरादे देती है जज्बातों को किनारों कि आहट पुकार देती है कदमों कि सौगात अदाओं को नजारों के सहारे देती है।

आशाओं कि सरगम कई लहरे देती है सपनों को अरमानों कि सुबह दास्तान देती है आवाजों कि धून अरमानों को दिशाओं के सहारे देती है।

आशाओं कि सरगम कई उजाले देती है खयालों को अंदाजों कि आस सोच देती है तरानों कि सुबह आवाजों को राहों के सहारे देती है।

आशाओं कि सरगम कई तराने देती है कदमों को जज्बातों कि मुस्कान रोशनी देती है उम्मीदों कि समझ इशारों को लम्हों के सहारे देती है।

आशाओं कि सरगम कई सपने देती है दास्तानों को अल्फाजों कि पुकार सौगात देती है इशारों कि रोशनी खयालों को उम्मीदों के सहारे देती है।

आशाओं कि सरगम कई इशारे देती है आवाजों को बदलावों कि सोच मुस्कान देती है उमंग कि पहचान अंदाजों को किनारों के सहारे देती है।

Monday 12 September 2022

कविता. ४५६२. उम्मीद कि वह मुस्कान।

                                                उम्मीद कि वह मुस्कान।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई इशारा देती है एहसासों कि आंधी अक्सर सहारा देती है लम्हों कि लहरे उमंग कि धाराएं देकर चलती है।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई पुकार देती है नजारों कि सौगात अक्सर तराना देती है आशाओं कि सरगम दिशाओं कि समझ देकर चलती है।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई राह देती है जज्बातों कि सुबह अक्सर सपना देती है कदमों कि आहट आवाजों कि धून देकर चलती है।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई परख देती है तरानों कि सोच अक्सर बदलाव देती है किनारों कि सुबह खयालों कि सरगम देकर चलती है।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई सहारा देती है जज्बातों कि पहचान अक्सर इशारा देती है अदाओं कि परख दास्तानों कि राह देकर चलती है।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई सरगम देती है आशाओं कि पुकार अक्सर पहचान देती है नजारों कि अहमियत लहरों कि कोशिश देकर चलती है।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई सपना देती है इशारों कि सौगात अक्सर तराना देती है इरादों कि परख आवाजों कि पुकार देकर चलती है।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई तलाश देती है लम्हों कि पहचान अक्सर जज्बात देती है अदाओं कि सौगात आशाओं कि सोच देकर चलती है।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई बदलाव देती है इरादों कि सुबह अक्सर सहारा देती है एहसासों कि रोशनी अरमानों कि सरगम देकर चलती है।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई कोशिश देती है दास्तानों कि परख अक्सर उजाला देती है खयालों कि समझ अल्फाजों कि लहर देकर चलती है।

Sunday 11 September 2022

कविता. ४५६१. मुस्कान को आशाओं संग।

                                            मुस्कान को आशाओं संग।

मुस्कान को आशाओं संग एहसास दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ सपना सुनाती है कदमों कि आहट अक्सर अरमानों के अंदाजों संग इशारा देती है।

मुस्कान को आशाओं संग किनारा दिलाती है लहरों को नजारों कि सोच अफसाना सुनाती है तरानों कि राह अक्सर खयालों के अल्फाजों संग इशारा देती है।

मुस्कान को आशाओं संग आस दिलाती है आवाजों को राहों कि पहचान बदलाव सुनाती है खयालों कि सौगात अक्सर उजालों के उम्मीदों संग इशारा देती है।

मुस्कान को आशाओं संग रोशनी दिलाती है अदाओं को तरानों कि सौगात कोशिश सुनाती है दिशाओं कि समझ अक्सर जज्बातों के राहों संग इशारा देती है।

मुस्कान को आशाओं संग कोशिश दिलाती है दिशाओं को नजारों कि पुकार सरगम सुनाती है किनारों कि पहचान अक्सर आवाजों के दास्तानों संग इशारा देती है।

मुस्कान को आशाओं संग राह दिलाती है कदमों को जज्बातों कि पहचान परख सुनाती है अंदाजों कि सौगात अक्सर अंदाजों के अरमानों संग इशारा देती है।

मुस्कान को आशाओं संग नजारा दिलाती है राहों को बदलावों कि सौगात सरगम सुनाती है जज्बातों कि सुबह अक्सर दिशाओं के कदमों संग इशारा देती है।

मुस्कान को आशाओं संग सुबह दिलाती है दास्तानों को दिशाओं कि समझ सपना सुनाती है तरानों कि सोच अक्सर इरादों के खयालों संग इशारा देती है।

मुस्कान को आशाओं संग समझ दिलाती है लम्हों को दास्तानों कि सोच कोशिश सुनाती है उजालों कि आस अक्सर बदलावों के आवाजों संग इशारा देती है।

मुस्कान को आशाओं संग सहारा दिलाती है नजारों को राहों कि सरगम किनारा सुनाती है उम्मीदों कि पहचान अक्सर जज्बातों के एहसासों संग इशारा देती है।

Saturday 10 September 2022

कविता. ४५६०. सपनों को अरमानों कि।

                                       सपनों को अरमानों कि।

सपनों को अरमानों कि पुकार राह दिलाती है अंदाजों कि सौगात कोशिश सुनाती है नजारों संग अदाओं कि परख अहमियत दिलाती है।

सपनों को अरमानों कि सुबह किनारा दिलाती है जज्बातों कि सोच अफसाना सुनाती है तरानों संग जज्बातों कि सोच अहमियत दिलाती है।

सपनों को अरमानों कि पहचान इशारा दिलाती है दास्तानों कि आस बदलाव सुनाती है लम्हों संग आवाजों कि आस अहमियत दिलाती है।

सपनों को अरमानों कि सोच खयाल दिलाती है राहों कि पहचान अल्फाज सुनाती है किनारों संग एहसासों कि समझ अहमियत दिलाती है।

सपनों को अरमानों कि राह आस दिलाती है किनारों कि मुस्कान बदलाव सुनाती है उजालों संग दास्तानों कि सोच अहमियत दिलाती है।

सपनों को अरमानों कि सरगम पुकार दिलाती है उम्मीदों कि लहर परख सुनाती है जज्बातों संग आशाओं कि पहचान अहमियत दिलाती है।

सपनों को अरमानों कि परख रोशनी दिलाती है नजारों कि सुबह दास्तान सुनाती है तरानों संग अंदाजों कि रोशनी अहमियत दिलाती है।

सपनों को अरमानों कि कोशिश समझ दिलाती है लम्हों कि पुकार सरगम सुनाती है बदलावों संग उम्मीदों कि सौगात अहमियत दिलाती है।

सपनों को अरमानों कि तलाश सहारा दिलाती है दिशाओं कि मुस्कान एहसास सुनाती है लम्हों संग आवाजों कि आस अहमियत दिलाती है।

सपनों को अरमानों कि पहचान इशारा दिलाती है आशाओं कि सोच अल्फाज सुनाती है नजारों संग उमंग कि सरगम अहमियत दिलाती है।

Friday 9 September 2022

कविता. ४५५९. उजाले संग एहसासों कि।

                                   उजाले संग एहसासों कि।

उजाले संग एहसासों कि पुकार दास्तान देती है कदमों कि आहट से आशाओं कि सरगम सुनाती है लम्हों को किनारों कि सोच अफसाना देती है।

उजाले संग एहसासों कि रोशनी मुस्कान देती है किनारों कि तलाश से राहों कि पहचान सुनाती है नजारों को दिशाओं कि अहमियत अफसाना देती है।

उजाले संग एहसासों कि कोशिश बदलाव देती है अंदाजों कि सौगात से आवाजों कि आस सुनाती है तरानों को अदाओं कि पहचान अफसाना देती है।

उजाले संग एहसासों कि सोच अरमान देती है सपनों कि कोशिश से खयालों कि समझ सुनाती है लहरों को इशारों कि उमंग अफसाना देती है।

उजाले संग एहसासों कि परख सुबह देती है नजारों कि सोच से इरादों कि अहमियत सुनाती है जज्बातों को कोशिश कि लहर अफसाना देती है।

उजाले संग एहसासों कि सौगात दास्तान देती है बदलावों कि कहानी से आशाओं कि राह सुनाती है दिशाओं को राहों कि धून अफसाना देती है।

उजाले संग एहसासों कि मुस्कान किनारा देती है इशारों कि सौगात से दास्तानों कि परख सुनाती है उम्मीदों को कदमों कि आहट अफसाना देती है।

उजाले संग एहसासों कि पहचान खयाल देती है तरानों कि पुकार से दिशाओं कि आस सुनाती है आशाओं को बदलावों कि सोच अफसाना देती है।

उजाले संग एहसासों कि कोशिश लहर देती है इरादों कि सुबह से खयालों कि पहचान सुनाती है अंदाजों को किनारों कि पुकार अफसाना देती है।

उजाले संग एहसासों कि परख रोशनी देती है लम्हों कि रोशनी से आशाओं कि सरगम सुनाती है सपनों को अल्फाजों कि आवाज अफसाना देती है।

Wednesday 7 September 2022

कविता. ४५५८. इशारों से आशाओं कि।

                                     इशारों से आशाओं कि।

इशारों से आशाओं कि सरगम बदलाव सुनाती है नजारों को खयालों कि समझ पहचान दिलाती है कदमों कि आहट अक्सर अंदाजों कि सौगात देकर चलती है।

इशारों से आशाओं कि पुकार रोशनी दिलाती है जज्बातों को किनारों कि परख आस दिलाती है लम्हों कि अहमियत अक्सर अल्फाजों कि राह देकर चलती है।

इशारों से आशाओं कि समझ सौगात सुनाती है लहरों को नजारों कि सोच बदलाव दिलाती है तरानों कि पहचान अक्सर आवाजों कि धून देकर चलती है।

इशारों से आशाओं कि सुबह अल्फाज सुनाती है उम्मीदों को अंदाजों कि सरगम तलाश दिलाती है किनारों कि मुस्कान अक्सर अदाओं कि पुकार देकर चलती है।

इशारों से आशाओं कि सोच तराना सुनाती है उजालों को सपनों कि सुबह दास्तान दिलाती है कदमों कि आहट अक्सर जज्बातों कि मुस्कान देकर चलती है।

इशारों से आशाओं कि कोशिश बदलाव सुनाती है दास्तानों को दिशाओं कि अहमियत अफसाना दिलाती है नजारों कि राह अक्सर खयालों कि सोच देकर चलती है।

इशारों से आशाओं कि राह अरमान सुनाती है लम्हों को कदमों कि पहचान उमंग दिलाती है किनारों कि सरगम अक्सर बदलावों कि सौगात देकर चलती है।

इशारों से आशाओं कि लहर एहसास सुनाती है तरानों को अंदाजों कि सौगात सहारा दिलाती है लम्हों कि दास्तान अक्सर अदाओं कि परख देकर चलती है।

इशारों से आशाओं कि सुबह दास्तान सुनाती है आवाजों को राहों कि पुकार रोशनी दिलाती है कदमों कि पहचान अक्सर दिशाओं कि सुबह देकर चलती है।

इशारों से आशाओं कि उमंग पहचान सुनाती है अंदाजों को किनारों कि सोच उम्मीद दिलाती है राहों कि पुकार अक्सर उम्मीदों कि परख देकर चलती है।

कविता. ४५५७. सपनों के अरमानों कि।

                                         सपनों के अरमानों कि।

सपनों के अरमानों कि लहर सहारे देती है दिशाओं को एहसासों कि समझ तलाश दिलाती है लम्हों कि सरगम अक्सर बदलावों के इशारे लाती है।

सपनों के अरमानों कि सुबह दास्तान देती है कदमों को अंदाजों कि सौगात अल्फाज दिलाती है राहों कि पहचान अक्सर खयालों के इशारे लाती है।

सपनों के अरमानों कि सोच कोशिश देती है नजारों को दिशाओं कि राह आस दिलाती है उजालों कि पुकार अक्सर आस के इशारे लाती है।

सपनों के अरमानों कि राह आवाज देती है जज्बातों को आशाओं कि सरगम रोशनी दिलाती है उम्मीदों कि सोच अक्सर लहरों के इशारे लाती है।

सपनों के अरमानों कि सौगात परख देती है किनारों को अल्फाजों कि पुकार सुबह दिलाती है जज्बातों कि मुस्कान अक्सर राहों के इशारे लाती है।

सपनों के अरमानों कि पुकार रोशनी देती है कदमों को उजालों कि पहचान दास्तान दिलाती है लम्हों कि अहमियत अक्सर कोशिश के इशारे लाती है।

सपनों के अरमानों कि आस सरगम देती है जज्बातों को कदमों कि आहट पुकार दिलाती है अदाओं कि परख अक्सर तरानों के इशारे लाती है।

सपनों के अरमानों कि राह अफसाना देती है किनारों को अल्फाजों कि सौगात आस दिलाती है नजारों कि सोच अक्सर दिशाओं के इशारे लाती है।

सपनों के अरमानों कि परख सहारा देती है दास्तानों को अंदाजों कि सरगम तलाश दिलाती है लम्हों कि पहचान अक्सर आवाजों के इशारे लाती है।

सपनों के अरमानों कि रोशनी मुस्कान देती है दिशाओं को तरानों कि लहर अल्फाज दिलाती है जज्बातों कि पुकार अक्सर उम्मीदों के इशारे लाती है।

Tuesday 6 September 2022

कविता. ४५५६. तरानों संग मुस्कान।

                                          तरानों संग मुस्कान।

तरानों संग मुस्कान इशारे देती है कदमों कि आहट अक्सर सहारे देती है आशाओं को बदलावों कि सौगात सरगम सुनाकर उमंग दिलाती है।

तरानों संग मुस्कान उजाले देती है किनारों कि पहचान अक्सर लहरे देती है खयालों को दास्तानों कि परख अहमियत सुनाकर तलाश दिलाती है।

तरानों संग मुस्कान कोशिश देती है जज्बातों कि सोच अक्सर आस देती है नजारों को दिशाओं कि सुबह अफसाना सुनाकर राह दिलाती है।

तरानों संग मुस्कान अरमान देती है नजारों कि सौगात अक्सर पुकार देती है आवाजों को राहों कि पहचान उम्मीद सुनाकर कोशिश दिलाती है।

तरानों संग मुस्कान सरगम देती है दिशाओं कि समझ अक्सर पहचान देती है अंदाजों को किनारों कि सोच परख सुनकर सौगात दिलाती है।

तरानों संग मुस्कान बदलाव देती है राहों कि कोशिश अक्सर सरगम देती है उम्मीदों को रोशनी कि सुबह आस सुनाकर आवाज दिलाती है।

तरानों संग मुस्कान आस देती है सपनों कि सौगात अक्सर दास्तान देती है इशारों को आशाओं कि सरगम खयाल सुनाकर अल्फाज दिलाती है।

तरानों संग मुस्कान आवाज देती है जज्बातों कि सोच अक्सर समझ देती है किनारों को अदाओं कि परख एहसास सुनाकर उमंग दिलाती है।

तरानों संग मुस्कान लहर देती है आवाजों कि सरगम अक्सर सौगात देती है दास्तानों को अंदाजों कि राह तलाश सुनाकर आस दिलाती है।

तरानों संग मुस्कान किनारा देती है अंदाजों कि आस अक्सर इरादा देती है कदमों को दिशाओं कि समझ सपना सुनाकर लम्हा दिलाती है।


Monday 5 September 2022

कविता. ४५५५. कोशिश को एहसासों कि।

                                     कोशिश को एहसासों कि।

कोशिश को एहसासों कि समझ सपना दिलाती है लम्हों को खयालों कि पुकार सहारा देती है तरानों को आशाओं कि सरगम इशारा दिलाती है।

कोशिश को एहसासों कि रोशनी पुकार दिलाती है लहरों को नजारों कि पहचान मुस्कान देती है राहों को अंदाजों कि आस इशारा दिलाती है।

कोशिश को एहसासों कि सौगात जज्बात दिलाती है सपनों को अरमानों कि सोच तलाश देती है आवाजों को बदलावों कि आस इशारा दिलाती है।

कोशिश को एहसासों कि पहचान किनारा दिलाती है अदाओं को दिशाओं कि समझ नजारा देती है उजालों को नजारों कि तलाश इशारा दिलाती है।

कोशिश को एहसासों कि परख सुबह दिलाती है आशाओं को दास्तानों कि सोच बदलाव देती है लहरों को आवाजों कि धून इशारा दिलाती है।

कोशिश को एहसासों कि उमंग अहमियत दिलाती है उजालों को सपनों कि रोशनी खयाल देती है जज्बातों को कदमों कि आहट इशारा दिलाती है।

कोशिश को एहसासों कि आस सरगम दिलाती है लम्हों को जज्बातों कि सोच अफसाना देती है उम्मीदों को किनारों कि रोशनी इशारा दिलाती है।

कोशिश को एहसासों कि अल्फाज उम्मीद दिलाती है नजारों को दिशाओं कि समझ पहचान देती है लम्हों को अदाओं कि परख इशारा दिलाती है।

कोशिश को एहसासों कि राह मुस्कान दिलाती है खयालों को अंदाजों कि सौगात सुबह देती है नजारों को दिशाओं कि समझ इशारा दिलाती है।

कोशिश को एहसासों कि आवाज रोशनी दिलाती है सपनों को आशाओं कि पहचान सोच देती है इरादों को अदाओं कि सौगात इशारा दिलाती है।


Sunday 4 September 2022

कविता. ४५५४. किसी पुकार को सुनकर।

                                                                  किसी पुकार को सुनकर।

किसी पुकार को सुनकर मुस्कान दिलों मे आती है एहसासों कि आंधी जज्बातों संग आगे बढती जाती है लहरों को खयालों कि सरगम इशारा दिलाती है।

किसी पुकार को सुनकर आवाज राहों मे आती है तरानों कि आंधी बदलावों संग आगे बढती जाती है लम्हों को उमंग कि पहचान इशारा दिलाती है।

किसी पुकार को सुनकर सोच अरमानों मे आती है उजालों कि आंधी उम्मीदों संग आगे बढती जाती है नजारों को दिशाओं कि समझ इशारा दिलाती है।

किसी पुकार को सुनकर आस दास्तानों मे आती है कदमों कि आंधी एहसासों संग आगे बढती जाती है इरादों को अंदाजों कि सौगात इशारा दिलाती है।

किसी पुकार को सुनकर समझ आवाजों मे आती है किनारों कि आंधी उजालों संग आगे बढती जाती है जज्बातों को कदमों कि आहट इशारा दिलाती है।

किसी पुकार को सुनकर सुबह दिशाओं मे आती है लम्हों कि आंधी खयालों संग आगे बढती जाती है राहों को कोशिश कि परख इशारा दिलाती है।

किसी पुकार को सुनकर सरगम अदाओं मे आती है लहरों कि आंधी जज्बातों संग आगे बढती जाती है आवाजों को अदाओं कि राह इशारा दिलाती है।

किसी पुकार को सुनकर रोशनी अंदाजों मे आती है अदाओं कि आंधी सपनों संग आगे बढती जाती है नजारों को राहों कि अहमियत इशारा दिलाती है।

किसी पुकार को सुनकर तलाश आशाओं मे आती है आशाओं कि आंधी कदमों संग आगे बढती जाती है अरमानों को अंदाजों कि सरगम इशारा दिलाती है।

किसी पुकार को सुनकर कोशिश उम्मीदों मे आती है बदलावों कि आंधी आशाओं संग आगे बढती जाती है खयालों को नजारों कि सोच इशारा दिलाती है।

Saturday 3 September 2022

कविता. ४५५३. राहों को अंदाजों कि।

                                           राहों को अंदाजों कि।

राहों को अंदाजों कि मुस्कान अरमान जगाती है लम्हों से आशाओं कि पहचान इशारा दिलाती है दास्तानों से एहसासों कि समझ सपना सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि आस सरगम जगाती है कदमों से आवाजों कि अहमियत अफसाना दिलाती है नजारों से लहरों कि सुबह सपना सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि लहर सौगात जगाती है किनारों से नजारों कि सोच अल्फाज दिलाती है जज्बातों से बदलावों कि परख सपना सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि आवाज मुस्कान जगाती है तरानों से इरादों कि सौगात खयाल दिलाती है दिशाओं से अरमानों कि पुकार सपना सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि दास्तान परख जगाती है कोशिश से अदाओं कि पुकार रोशनी दिलाती है लम्हों से आशाओं कि तलाश सपना सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि पहचान इशारा जगाती है जज्बातों से लम्हों कि आहट सरगम दिलाती है अफसानों से दास्तानों कि कोशिश सपना सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि सुबह अरमान जगाती है उजालों से इशारों कि रोशनी अहमियत दिलाती है आवाजों से अल्फाजों कि पहचान सपना सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि सौगात कोशिश जगाती है उम्मीदों से दास्तानों कि परख रोशनी दिलाती है अदाओं से कदमों कि आस सपना सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि सरगम तराना जगाती है इरादों से उजालों कि सुबह दास्तान दिलाती है खयालों से एहसासों कि समझ सपना सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि तलाश इरादा जगाती है नजारों से दिशाओं कि समझ पुकार दिलाती है इशारों से खयालों कि अहमियत सपना सुनाती है।


Friday 2 September 2022

कविता. ४५५२. जज्बात से जुड़कर।

                                       जज्बात से जुड़कर।

जज्बात से जुड़कर मुस्कान कि लहर अरमान दिलाती है लम्हों को खयालों कि कोशिश बदलाव सुनाती है नजारों से सपनों कि सौगात अफसाना देती है।

जज्बात से जुड़कर आस कि सोच अल्फाज दिलाती है इशारों को दास्तानों कि उमंग पहचान सुनाती है आवाजों से खयालों कि समझ अफसाना देती है।

जज्बात से जुड़कर कोशिश कि राह तराना दिलाती है राहों को अंदाजों कि समझ अरमान सुनाती है आशाओं से एहसासों कि रोशनी अफसाना देती है।

जज्बात से जुड़कर दास्तान कि सौगात मुस्कान दिलाती है नजारों को कदमों कि आहट पुकार सुनाती है अदाओं से लम्हों कि आहट अफसाना देती है।

जज्बात से जुड़कर आवाज कि तलाश सरगम दिलाती है दिशाओं को तरानों कि सोच अरमान सुनाती है इशारों से अंदाजों कि सुबह अफसाना देती है।

जज्बात से जुड़कर सोच कि परख रोशनी दिलाती है इशारों को दास्तानों कि पहचान अहमियत सुनाती है अल्फाजों से लहरों कि सरगम अफसाना देती है।

जज्बात से जुड़कर अंदाजों कि कोशिश तराना‌ दिलाती है तरानों कि समझ सपना सुनाती है राहों से अफसानों कि कोशिश अफसाना देती है।

जज्बात से जुड़कर दिशाओं कि अहमियत खयाल‌ दिलाती है कदमों कि आहट सरगम सुनाती है अंदाजों से लम्हों कि पहचान अफसाना देती है।

जज्बात से जुड़कर बदलावों कि सोच किनारा दिलाती है नजारों कि सौगात अरमान सुनाती है उजालों से इशारों कि आस अफसाना देती है।

जज्बात से जुड़कर उजालों कि सुबह खयाल दिलाती है लहरों कि सरगम बदलाव सुनाती है इरादों से आवाजों कि अहमियत अफसाना देती है।

Thursday 1 September 2022

कविता. ४५५१. किनारों को सपनों कि।

                                         किनारों को सपनों कि।

किनारों को सपनों कि लहर एहसास दिलाती है नजारों संग अरमानों कि पुकार इशारा लाती है लम्हों को खयालों कि सरगम रोशनी देकर जाती है।

किनारों को सपनों कि सोच अरमान दिलाती है जज्बातों संग आशाओं कि कोशिश सहारा लाती है दिशाओं को अंदाजों कि सुबह रोशनी देकर जाती है।

किनारों को सपनों कि कोशिश अल्फाज दिलाती है अदाओं संग तरानों कि सौगात सरगम लाती है कदमों को उजालों कि मुस्कान रोशनी देकर जाती है।

किनारों को सपनों कि आस कोशिश दिलाती है बदलावों संग उम्मीदों कि लहर पहचान लाती है नजारों को खयालों कि कोशिश रोशनी देकर जाती है।

किनारों को सपनों कि राह अफसाना दिलाती है लम्हों संग अदाओं कि सौगात तराना लाती है आवाजों को राहों कि पुकार रोशनी देकर जाती है।

किनारों को सपनों कि सौगात मुस्कान दिलाती है तरानों संग अंदाजों कि कोशिश बदलाव लाती है अरमानों को दिशाओं कि समझ रोशनी देकर जाती है।

किनारों को सपनों कि समझ सपना दिलाती है आवाजों संग दिशाओं कि सुबह दास्तान लाती है इशारों को लहरों कि कोशिश रोशनी देकर जाती है।

किनारों को सपनों कि तलाश परख दिलाती है इरादों संग अदाओं कि परख अहमियत लाती है लम्हों को आशाओं कि सरगम रोशनी देकर जाती है।

किनारों को सपनों कि उमंग अल्फाज दिलाती है लहरों संग बदलावों कि सोच बदलाव लाती है कदमों को उजालों कि सौगात रोशनी देकर जाती है।

किनारों को सपनों कि पुकार सहारा दिलाती है उजालों संग दास्तानों कि परख कोशिश लाती है अफसानों को अल्फाजों कि पुकार रोशनी देकर जाती है।

कविता. ५१५४. इरादों को आशाओं की।

                            इरादों को आशाओं की। इरादों को आशाओं की मुस्कान कोशिश दिलाती है खयालों को अंदाजों की आस किनारा देकर जाती है जज्बा...