Tuesday 6 September 2022

कविता. ४५५६. तरानों संग मुस्कान।

                                          तरानों संग मुस्कान।

तरानों संग मुस्कान इशारे देती है कदमों कि आहट अक्सर सहारे देती है आशाओं को बदलावों कि सौगात सरगम सुनाकर उमंग दिलाती है।

तरानों संग मुस्कान उजाले देती है किनारों कि पहचान अक्सर लहरे देती है खयालों को दास्तानों कि परख अहमियत सुनाकर तलाश दिलाती है।

तरानों संग मुस्कान कोशिश देती है जज्बातों कि सोच अक्सर आस देती है नजारों को दिशाओं कि सुबह अफसाना सुनाकर राह दिलाती है।

तरानों संग मुस्कान अरमान देती है नजारों कि सौगात अक्सर पुकार देती है आवाजों को राहों कि पहचान उम्मीद सुनाकर कोशिश दिलाती है।

तरानों संग मुस्कान सरगम देती है दिशाओं कि समझ अक्सर पहचान देती है अंदाजों को किनारों कि सोच परख सुनकर सौगात दिलाती है।

तरानों संग मुस्कान बदलाव देती है राहों कि कोशिश अक्सर सरगम देती है उम्मीदों को रोशनी कि सुबह आस सुनाकर आवाज दिलाती है।

तरानों संग मुस्कान आस देती है सपनों कि सौगात अक्सर दास्तान देती है इशारों को आशाओं कि सरगम खयाल सुनाकर अल्फाज दिलाती है।

तरानों संग मुस्कान आवाज देती है जज्बातों कि सोच अक्सर समझ देती है किनारों को अदाओं कि परख एहसास सुनाकर उमंग दिलाती है।

तरानों संग मुस्कान लहर देती है आवाजों कि सरगम अक्सर सौगात देती है दास्तानों को अंदाजों कि राह तलाश सुनाकर आस दिलाती है।

तरानों संग मुस्कान किनारा देती है अंदाजों कि आस अक्सर इरादा देती है कदमों को दिशाओं कि समझ सपना सुनाकर लम्हा दिलाती है।


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