Wednesday 21 September 2022

कविता. ४५७१. राहों को अंदाजों कि।

                                     राहों को अंदाजों कि।

राहों को अंदाजों कि कोशिश अक्सर सरगम दिलाती है लम्हों को खयालों कि सुबह अरमान सुनाती है किनारों को सपनों कि आहट एहसास देती है।

राहों को अंदाजों कि आस अक्सर पहचान दिलाती है नजारों को अरमानों कि पुकार इशारा सुनाती है लहरों को दास्तानों कि रोशनी एहसास देती है।

राहों को अंदाजों कि सरगम अक्सर सुबह दिलाती है जज्बातों को कदमों कि पहचान सहारा सुनाती है उजालों को आशाओं कि आस एहसास देती है।

राहों को अंदाजों कि सौगात अक्सर तराना दिलाती है अदाओं को नजारों कि समझ बदलाव सुनाती है खयालों को दिशाओं कि समझ एहसास देती है।

राहों को अंदाजों कि पुकार अक्सर उमंग दिलाती है इरादों को आशाओं कि रोशनी पहचान सुनाती है लम्हों को दास्तानों कि परख एहसास देती है।

राहों को अंदाजों कि रोशनी अक्सर सरगम दिलाती है उजालों को सपनों कि कोशिश सोच सुनाती है अदाओं को तरानों कि कोशिश एहसास देती है।

राहों को अंदाजों कि उमंग अक्सर लहर दिलाती है उम्मीदों को किनारों कि मुस्कान दास्तान सुनाती है खयालों को अंदाजों कि आस एहसास देती है।

राहों को अंदाजों कि आवाज अक्सर सुबह दिलाती है आशाओं को इशारों कि पहचान आस सुनाती है नजारों को दिशाओं कि सुबह एहसास देती है।

राहों को अंदाजों कि सरगम अक्सर सपना दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ अफसाना सुनाती है कदमों को अदाओं कि पुकार एहसास देती है।

राहों को अंदाजों कि पहचान अक्सर रोशनी दिलाती है लहरों को आवाजों कि धून पुकार सुनाती है दास्तानों को किनारों कि सोच एहसास देती है।

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