Sunday 18 September 2022

कविता. ४५६८. उजालों से मुस्कान कि।

                                       उजालों से मुस्कान कि।

उजालों से मुस्कान कि पहचान सहारा देती है नजारों को दिशाओं कि सरगम आस सुनाती है लम्हों कि लकीर संग इशारों के अरमान जगाती है।

उजालों से मुस्कान कि पुकार रोशनी देती है जज्बातों को कदमों कि आहट सौगात सुनाती है तरानों कि पहचान संग आशाओं के अरमान जगाती है।

उजालों से मुस्कान कि सोच आवाज देती है राहों को अंदाजों कि सुबह दास्तान सुनाती है नजारों कि अहमियत संग कदमों के अरमान जगाती है।

उजालों से मुस्कान कि परख सुबह देती है अदाओं को दास्तानों कि समझ सपना सुनाती है जज्बातों कि कोशिश संग नजारों के अरमान जगाती है।

उजालों से मुस्कान कि आस इशारा देती है लहरों को आवाजों कि धून तलाश सुनाती है एहसासों कि सोच संग इरादों के अरमान जगाती है।

उजालों से मुस्कान कि कोशिश बदलाव देती है तरानों को उम्मीदों कि सोच इशारा सुनाती है अंदाजों कि राह संग नजारों के अरमान जगाती है।

उजालों से मुस्कान कि राह अफसाना देती है आशाओं को जज्बातों कि सौगात पुकार सुनाती है दिशाओं कि अहमियत संग कदमों के अरमान जगाती है।

उजालों से मुस्कान कि उमंग आवाज देती है उम्मीदों को किनारों कि सोच एहसास सुनाती है अदाओं कि परख संग नजारों के अरमान जगाती है।

उजालों से मुस्कान कि आस सरगम देती है लम्हों को खयालों कि समझ सपना सुनाती है आवाजों कि पहचान संग दिशाओं के अरमान जगाती है।

उजालों से मुस्कान कि सुबह दास्तान देती है सपनों को नजारों कि सौगात बदलाव सुनाती है जज्बातों कि सोच संग उमंग के अरमान जगाती है।

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