Friday 9 September 2022

कविता. ४५५९. उजाले संग एहसासों कि।

                                   उजाले संग एहसासों कि।

उजाले संग एहसासों कि पुकार दास्तान देती है कदमों कि आहट से आशाओं कि सरगम सुनाती है लम्हों को किनारों कि सोच अफसाना देती है।

उजाले संग एहसासों कि रोशनी मुस्कान देती है किनारों कि तलाश से राहों कि पहचान सुनाती है नजारों को दिशाओं कि अहमियत अफसाना देती है।

उजाले संग एहसासों कि कोशिश बदलाव देती है अंदाजों कि सौगात से आवाजों कि आस सुनाती है तरानों को अदाओं कि पहचान अफसाना देती है।

उजाले संग एहसासों कि सोच अरमान देती है सपनों कि कोशिश से खयालों कि समझ सुनाती है लहरों को इशारों कि उमंग अफसाना देती है।

उजाले संग एहसासों कि परख सुबह देती है नजारों कि सोच से इरादों कि अहमियत सुनाती है जज्बातों को कोशिश कि लहर अफसाना देती है।

उजाले संग एहसासों कि सौगात दास्तान देती है बदलावों कि कहानी से आशाओं कि राह सुनाती है दिशाओं को राहों कि धून अफसाना देती है।

उजाले संग एहसासों कि मुस्कान किनारा देती है इशारों कि सौगात से दास्तानों कि परख सुनाती है उम्मीदों को कदमों कि आहट अफसाना देती है।

उजाले संग एहसासों कि पहचान खयाल देती है तरानों कि पुकार से दिशाओं कि आस सुनाती है आशाओं को बदलावों कि सोच अफसाना देती है।

उजाले संग एहसासों कि कोशिश लहर देती है इरादों कि सुबह से खयालों कि पहचान सुनाती है अंदाजों को किनारों कि पुकार अफसाना देती है।

उजाले संग एहसासों कि परख रोशनी देती है लम्हों कि रोशनी से आशाओं कि सरगम सुनाती है सपनों को अल्फाजों कि आवाज अफसाना देती है।

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