Friday 30 September 2022

कविता. ४५८०. जज्बात को आशाओं कि।

                                           जज्बात को आशाओं कि।

जज्बात को आशाओं कि सरगम लहर दिलाती है कदमों को अदाओं कि परख पहचान सुनाती है आवाजों कि धून अक्सर एहसासों कि रोशनी देती है।

जज्बात को आशाओं कि सुबह दास्तान दिलाती है अंदाजों को किनारों कि सोच सरगम सुनाती है तरानों कि पहचान अक्सर उजालों कि रोशनी देती है।

जज्बात को आशाओं कि राह अफसाना दिलाती है लहरों को इशारों कि पुकार कोशिश सुनाती है लम्हों कि आहट अक्सर सपनों कि रोशनी देती है।

जज्बात को आशाओं कि सौगात किनारा दिलाती है नजारों को दिशाओं कि अहमियत अल्फाज सुनाती है आवाजों कि धून अक्सर अदाओं कि रोशनी देती है।

जज्बात को आशाओं कि सोच मुस्कान दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ अरमान सुनाती है इशारों कि लहर अक्सर नजारों कि रोशनी देती है।

जज्बात को आशाओं कि समझ सपना दिलाती है अदाओं को कदमों कि आहट बदलाव सुनाती है खयालों कि सोच अक्सर दास्तानों कि रोशनी देती है।

जज्बात को आशाओं कि सरगम सुबह दिलाती है दास्तानों को अदाओं कि परख पहचान सुनाती है कदमों कि पुकार अक्सर उम्मीदों कि रोशनी देती है।

जज्बात को आशाओं कि तलाश इशारा दिलाती है खयालों को अंदाजों कि धारा अफसाना सुनाती है तरानों कि सौगात अक्सर इरादों कि रोशनी देती है।

जज्बात को आशाओं कि पहचान किनारा दिलाती है उजालों को सपनों कि आस सरगम सुनाती है बदलावों कि कोशिश अक्सर दिशाओं कि रोशनी देती है।

जज्बात को आशाओं कि पुकार आस दिलाती है दास्तानों को एहसासों कि सरगम आवाज सुनाती है खयालों कि समझ अक्सर अंदाजों कि रोशनी देती है।

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