Tuesday, 13 September 2022

कविता. ४५६३. आशाओं कि सरगम कई।

                                     आशाओं कि सरगम कई।

आशाओं कि सरगम कई दास्ताने देती है लम्हों को खयालों कि पहचान इशारे देती है जज्बातों कि आंधी मन को उम्मीदों के सहारे देती है।

आशाओं कि सरगम कई कोशिशें देती है तरानों को लहरों कि सुबह मुस्कान देती है अरमानों कि पुकार रोशनी को अल्फाजों के सहारे देती है।

आशाओं कि सरगम कई नजारे देती है कदमों को उजालों कि परख सुबह देती है लम्हों कि पहचान दास्तानों को अंदाजों के सहारे देती है।

आशाओं कि सरगम कई इशारे देती है नजारों को दिशाओं कि समझ सौगात देती है नजारों कि सोच दिशाओं को बदलावों के सहारे देती है।

आशाओं कि सरगम कई इरादे देती है जज्बातों को किनारों कि आहट पुकार देती है कदमों कि सौगात अदाओं को नजारों के सहारे देती है।

आशाओं कि सरगम कई लहरे देती है सपनों को अरमानों कि सुबह दास्तान देती है आवाजों कि धून अरमानों को दिशाओं के सहारे देती है।

आशाओं कि सरगम कई उजाले देती है खयालों को अंदाजों कि आस सोच देती है तरानों कि सुबह आवाजों को राहों के सहारे देती है।

आशाओं कि सरगम कई तराने देती है कदमों को जज्बातों कि मुस्कान रोशनी देती है उम्मीदों कि समझ इशारों को लम्हों के सहारे देती है।

आशाओं कि सरगम कई सपने देती है दास्तानों को अल्फाजों कि पुकार सौगात देती है इशारों कि रोशनी खयालों को उम्मीदों के सहारे देती है।

आशाओं कि सरगम कई इशारे देती है आवाजों को बदलावों कि सोच मुस्कान देती है उमंग कि पहचान अंदाजों को किनारों के सहारे देती है।

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