Tuesday 20 September 2022

कविता. ४५७०. दास्तानों को एहसासों कि।

                                    दास्तानों को एहसासों कि।

दास्तानों को एहसासों कि समझ नजारा दिलाती है कोशिश कि मुस्कान से आशाएं अक्सर लकीर देती है तरानों को उम्मीदों कि सौगात सुबह देती है।

दास्तानों को एहसासों कि रोशनी बदलाव दिलाती है लम्हों कि आहट से राहें अक्सर अरमान देती है उजालों को सपनों कि आवाज सुबह देती है।

दास्तानों को एहसासों कि सोच सरगम दिलाती है लहरों कि सौगात से अदाएं अक्सर पुकार देती है इशारों को जज्बातों कि परख सुबह देती है।

दास्तानों को एहसासों कि मुस्कान खयाल दिलाती है नजारों कि पहचान से आवाजे अक्सर सपना देती है अदाओं को उजालों कि मुस्कान सुबह देती है।

दास्तानों को एहसासों कि पुकार सहारा दिलाती है राहों कि तलाश से अदाएं अक्सर पहचान देती है कदमों को आशाओं कि सोच सुबह देती है।

दास्तानों को एहसासों कि सौगात तलाश दिलाती है जज्बातों कि सोच से सरगम अक्सर आस देती है नजारों को खयालों कि रोशनी सुबह देती है।

दास्तानों को एहसासों कि आस अरमान दिलाती है बदलावों कि पुकार से दिशाएं अक्सर उजाला देती है राहों को अंदाजों कि परख सुबह देती है।

दास्तानों को एहसासों कि कोशिश लहर दिलाती है सपनों कि सौगात से आशाएं अक्सर उमंग देती है आशाओं को कदमों कि आहट सुबह देती है।

दास्तानों को एहसासों कि राह सोच दिलाती है लहरों कि समझ से अदाएं अक्सर अहमियत देती है इरादों को उजालों कि सरगम सुबह देती है।

दास्तानों को एहसासों कि रोशनी किनारा दिलाती है नजारों कि परख से उम्मीदें अक्सर तलाश देती है आवाजों को अदाओं कि समझ सुबह देती है।

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