Saturday 24 September 2022

कविता. ४५७४. तरानों से अदाओं कि।

                                       तरानों से अदाओं कि।

तरानों से अदाओं कि तलाश उमंग दिलाती है लहरों को इशारों कि सौगात पहचान सुनाती है जज्बातों कि राह से अरमानों कि सुबह दिलाती है।

तरानों से अदाओं कि सरगम उम्मीद दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ सपना सुनाती है लम्हों कि आहट से आवाजों कि धून दिलाती है।

तरानों से अदाओं कि सोच आस दिलाती है नजारों को अंदाजों कि सोच कोशिश सुनाती है कदमों कि सोच से किनारों कि राह दिलाती है।

तरानों से अदाओं कि परख किनारा दिलाती है बदलावों को इशारों कि पुकार दास्तान सुनाती है नजारों कि पहचान से उजालों कि आस दिलाती है।

तरानों से अदाओं कि सौगात खयाल दिलाती है एहसासों को उम्मीदों कि लहर मुस्कान सुनाती है लहरों कि सरगम से अंदाजों कि कोशिश दिलाती है।

तरानों से अदाओं कि सुबह तराना दिलाती है उजालों को सपनों कि समझ आवाज सुनाती है दिशाओं कि समझ से खयालों कि सोच दिलाती है।

तरानों से अदाओं कि उम्मीद लम्हा दिलाती है दिशाओं को इशारों कि रोशनी अरमान सुनाती है उजालों कि परख से इरादों कि अहमियत दिलाती है।

तरानों से अदाओं कि राह अफसाना दिलाती है लहरों को नजारों कि सोच अल्फाज सुनाती है उमंग कि सौगात से दास्तानों कि परख दिलाती है।

तरानों से अदाओं कि लहर सपना दिलाती है अदाओं को बदलावों कि सौगात आस सुनाती है खयालों कि सुबह से नजारों कि पहचान दिलाती है।

तरानों से अदाओं कि सरगम कोशिश दिलाती है उम्मीदों को किनारों कि मुस्कान दास्तान सुनाती है लहरों कि सोच से आवाजों कि उमंग दिलाती है।

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