Sunday 11 September 2022

कविता. ४५६१. मुस्कान को आशाओं संग।

                                            मुस्कान को आशाओं संग।

मुस्कान को आशाओं संग एहसास दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ सपना सुनाती है कदमों कि आहट अक्सर अरमानों के अंदाजों संग इशारा देती है।

मुस्कान को आशाओं संग किनारा दिलाती है लहरों को नजारों कि सोच अफसाना सुनाती है तरानों कि राह अक्सर खयालों के अल्फाजों संग इशारा देती है।

मुस्कान को आशाओं संग आस दिलाती है आवाजों को राहों कि पहचान बदलाव सुनाती है खयालों कि सौगात अक्सर उजालों के उम्मीदों संग इशारा देती है।

मुस्कान को आशाओं संग रोशनी दिलाती है अदाओं को तरानों कि सौगात कोशिश सुनाती है दिशाओं कि समझ अक्सर जज्बातों के राहों संग इशारा देती है।

मुस्कान को आशाओं संग कोशिश दिलाती है दिशाओं को नजारों कि पुकार सरगम सुनाती है किनारों कि पहचान अक्सर आवाजों के दास्तानों संग इशारा देती है।

मुस्कान को आशाओं संग राह दिलाती है कदमों को जज्बातों कि पहचान परख सुनाती है अंदाजों कि सौगात अक्सर अंदाजों के अरमानों संग इशारा देती है।

मुस्कान को आशाओं संग नजारा दिलाती है राहों को बदलावों कि सौगात सरगम सुनाती है जज्बातों कि सुबह अक्सर दिशाओं के कदमों संग इशारा देती है।

मुस्कान को आशाओं संग सुबह दिलाती है दास्तानों को दिशाओं कि समझ सपना सुनाती है तरानों कि सोच अक्सर इरादों के खयालों संग इशारा देती है।

मुस्कान को आशाओं संग समझ दिलाती है लम्हों को दास्तानों कि सोच कोशिश सुनाती है उजालों कि आस अक्सर बदलावों के आवाजों संग इशारा देती है।

मुस्कान को आशाओं संग सहारा दिलाती है नजारों को राहों कि सरगम किनारा सुनाती है उम्मीदों कि पहचान अक्सर जज्बातों के एहसासों संग इशारा देती है।

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