Wednesday 14 September 2022

कविता. ४५६४. कदमों को अदाओं कि।

                                          कदमों को अदाओं कि।

कदमों को अदाओं कि सोच सुबह दिलाती है एहसासों के खयालों कि सरगम सुनाती है तरानों से अंदाजों कि तलाश कोशिश देकर जाती है।

कदमों को अदाओं कि परख रोशनी दिलाती है अंदाजों के अरमानों कि सुबह सुनाती है लम्हों से आशाओं कि सोच कोशिश देकर जाती है।

कदमों को अदाओं कि सरगम पुकार दिलाती है लहरों के आवाजों कि धून सुनाती है नजारों से दिशाओं कि सुबह कोशिश देकर जाती है।

कदमों को अदाओं कि राह अरमान दिलाती है खयालों के अंदाजों कि आस सुनाती है जज्बातों से लम्हों कि पुकार कोशिश देकर जाती है।

कदमों को अदाओं कि सौगात अल्फाज दिलाती है दिशाओं के आशाओं कि सोच सुनाती है अंदाजों से आवाजों कि धून कोशिश देकर जाती है।

कदमों को अदाओं कि लहर अफसाना दिलाती है नजारों के अरमानों कि पुकार सुनाती है बदलावों से अंदाजों कि राह कोशिश देकर जाती है।

कदमों को अदाओं कि समझ आस दिलाती है जज्बातों के राहों कि पहचान सुनाती है अरमानों से आशाओं कि सरगम कोशिश देकर जाती है।

कदमों को अदाओं कि उमंग पहचान दिलाती है इशारों के किनारों कि सोच सुनाती है तरानों से इरादों कि मुस्कान कोशिश देकर जाती है।

कदमों को अदाओं कि सुबह सपना दिलाती है जज्बातों के दास्तानों कि समझ सुनाती है लम्हों से नजारों कि अहमियत कोशिश देकर जाती है।

कदमों को अदाओं कि पुकार रोशनी दिलाती है लम्हों के दिशाओं कि सुबह सुनाती है लहरों से आशाओं कि राह कोशिश देकर जाती है।


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