Tuesday, 27 September 2022

कविता. ४५७७. उजालों के आशाओं कि।

                                       उजालों के आशाओं कि।

उजालों के आशाओं कि पहचान इशारा दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ सहारा देकर जाती है जज्बातों को कदमों कि आहट पुकार सुनाती है।

उजालों के आशाओं कि सरगम सुबह दिलाती है लहरों को इशारों कि सौगात कोशिश देकर जाती है आवाजों को राहों कि पहचान पुकार सुनाती है।

उजालों के आशाओं कि सौगात सपना दिलाती है इशारों को दास्तानों कि परख रोशनी देकर जाती है अंदाजों को किनारों कि मुस्कान पुकार सुनाती है।

उजालों के आशाओं कि कोशिश अदा दिलाती है बदलावों को उम्मीदों कि पहचान इरादा देकर जाती है तरानों को अरमानों कि सोच पुकार सुनाती है।

उजालों के आशाओं कि परख रोशनी दिलाती है किनारों को सपनों कि सुबह दास्तान देकर जाती है कदमों को अदाओं कि सरगम पुकार सुनाती है।

उजालों के आशाओं कि सोच नजारा दिलाती है लहरों को दिशाओं कि समझ सरगम देकर जाती है किनारों को सपनों कि सौगात पुकार सुनाती है।

उजालों के आशाओं कि रोशनी जज्बात दिलाती है राहों को अंदाजों कि आस बदलाव देकर जाती है खयालों को आवाजों कि धून पुकार सुनाती है।

उजालों के आशाओं कि राह आस दिलाती है खयालों को इशारों कि रोशनी सपना देकर जाती है नजारों को राहों कि तलाश पुकार सुनाती है।

उजालों के आशाओं कि मुस्कान किनारा दिलाती है दिशाओं को कदमों कि सोच परख देकर जाती है उम्मीदों को लहरों कि सरगम पुकार सुनाती है।

उजालों के आशाओं कि उमंग लहर दिलाती है दास्तानों को आवाजों कि धून पहचान देकर जाती है दिशाओं को अंदाजों कि आस पुकार सुनाती है।


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