Sunday 25 September 2022

कविता. ४५७५. राहों से आशाओं कि।

                                       राहों से आशाओं कि।

राहों से आशाओं कि पुकार सहारा देती है नजारों कि सरगम आवाजों कि धाराएं दिलाती है लम्हों को खयालों कि सुबह पहचान सुनाती है।

राहों से आशाओं कि सरगम मुस्कान देती है कदमों कि आहट उजालों कि सोच दिलाती है लहरों को इशारों कि समझ पहचान सुनाती है।

राहों से आशाओं कि सौगात सुबह देती है दिशाओं कि लहर जज्बातों कि मुस्कान दिलाती है अंदाजों को किनारों कि सोच पहचान सुनाती है।

राहों से आशाओं कि कोशिश बदलाव देती है खयालों कि समझ दास्तानों कि परख दिलाती है उम्मीदों को दिशाओं कि रोशनी पहचान सुनाती है।

राहों से आशाओं कि आस सरगम देती है तरानों कि सुबह आवाजों कि धून दिलाती है अफसानों को अल्फाजों कि पुकार पहचान सुनाती है।

राहों से आशाओं कि परख रोशनी देती है दिशाओं कि समझ अंदाजों कि सरगम दिलाती है लम्हों को आवाजों कि धून पहचान सुनाती है।

राहों से आशाओं कि तलाश इशारा देती है कदमों कि आहट खयालों कि धाराएं दिलाती है उजालों को बदलावों कि आस पहचान सुनाती है।

राहों से आशाओं कि कोशिश समझ देती है किनारों कि सोच अरमानों कि सुबह दिलाती है जज्बातों को अंदाजों कि सौगात पहचान सुनाती है।

राहों से आशाओं कि सोच बदलाव देती है दास्तानों कि परख अदाओं कि सौगात दिलाती है आशाओं को इरादों कि बदलाव पहचान सुनाती है।

राहों से आशाओं कि सुबह दास्तान देती है तरानों कि समझ सपनों कि कोशिश दिलाती है नजारों को खयालों कि सोच पहचान सुनाती है।

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