Saturday 3 September 2022

कविता. ४५५३. राहों को अंदाजों कि।

                                           राहों को अंदाजों कि।

राहों को अंदाजों कि मुस्कान अरमान जगाती है लम्हों से आशाओं कि पहचान इशारा दिलाती है दास्तानों से एहसासों कि समझ सपना सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि आस सरगम जगाती है कदमों से आवाजों कि अहमियत अफसाना दिलाती है नजारों से लहरों कि सुबह सपना सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि लहर सौगात जगाती है किनारों से नजारों कि सोच अल्फाज दिलाती है जज्बातों से बदलावों कि परख सपना सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि आवाज मुस्कान जगाती है तरानों से इरादों कि सौगात खयाल दिलाती है दिशाओं से अरमानों कि पुकार सपना सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि दास्तान परख जगाती है कोशिश से अदाओं कि पुकार रोशनी दिलाती है लम्हों से आशाओं कि तलाश सपना सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि पहचान इशारा जगाती है जज्बातों से लम्हों कि आहट सरगम दिलाती है अफसानों से दास्तानों कि कोशिश सपना सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि सुबह अरमान जगाती है उजालों से इशारों कि रोशनी अहमियत दिलाती है आवाजों से अल्फाजों कि पहचान सपना सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि सौगात कोशिश जगाती है उम्मीदों से दास्तानों कि परख रोशनी दिलाती है अदाओं से कदमों कि आस सपना सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि सरगम तराना जगाती है इरादों से उजालों कि सुबह दास्तान दिलाती है खयालों से एहसासों कि समझ सपना सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि तलाश इरादा जगाती है नजारों से दिशाओं कि समझ पुकार दिलाती है इशारों से खयालों कि अहमियत सपना सुनाती है।


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