Monday 26 September 2022

कविता. ४५७६. दास्तान को अंदाजों कि।

                                         दास्तान को अंदाजों कि।

दास्तान को अंदाजों कि लहर अरमान जगाती है उजालों को सपनों कि पुकार आस सुनाती है दिशाओं से खयालों कि समझ बदलाव दिलाती है।

दास्तान को अंदाजों कि कोशिश सहारा जगाती है कदमों को अदाओं कि परख पहचान सुनाती है नजारों से लहरों कि सरगम बदलाव दिलाती है।

दास्तान को अंदाजों कि सुबह सौगात जगाती है दिशाओं को लम्हों कि आस अदा सुनाती है किनारों से सपनों कि राह बदलाव दिलाती है।

दास्तान को अंदाजों कि सोच आवाज जगाती है किनारों को अल्फाजों कि राह अफसाना सुनाती है लम्हों से जज्बातों कि मुस्कान बदलाव दिलाती है।

दास्तान को अंदाजों कि आस खयाल जगाती है उम्मीदों को कदमों कि आहट सरगम सुनाती है आशाओं से एहसासों कि रोशनी बदलाव दिलाती है।

दास्तान को अंदाजों कि राह पुकार जगाती है लम्हों को आशाओं कि पहचान सुबह सुनाती है अदाओं से कदमों कि आहट बदलाव दिलाती है।

दास्तान को अंदाजों कि समझ सपना जगाती है लहरों को इशारों कि रोशनी आवाज सुनाती है तरानों से दिशाओं कि समझ बदलाव दिलाती है।

दास्तान को अंदाजों कि मुस्कान खयाल जगाती है राहों को आवाजों कि धून पुकार सुनाती है अरमानों से उम्मीदों कि लहर बदलाव दिलाती है।

दास्तान को अंदाजों कि सोच अल्फाज जगाती है इशारों को नजारों कि आस सौगात सुनाती है कदमों से आवाजों कि पहचान बदलाव दिलाती है।

दास्तान को अंदाजों कि आस सुबह जगाती है तरानों को आशाओं कि सरगम कोशिश सुनाती है उम्मीदों से सपनों कि अहमियत बदलाव दिलाती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१६५. उम्मीदों को किनारों की।

                               उम्मीदों को किनारों की। उम्मीदों को किनारों की सौगात इरादा देती है आवाजों को अदाओं की पुकार पहचान दिलाती है द...