Saturday 10 September 2022

कविता. ४५६०. सपनों को अरमानों कि।

                                       सपनों को अरमानों कि।

सपनों को अरमानों कि पुकार राह दिलाती है अंदाजों कि सौगात कोशिश सुनाती है नजारों संग अदाओं कि परख अहमियत दिलाती है।

सपनों को अरमानों कि सुबह किनारा दिलाती है जज्बातों कि सोच अफसाना सुनाती है तरानों संग जज्बातों कि सोच अहमियत दिलाती है।

सपनों को अरमानों कि पहचान इशारा दिलाती है दास्तानों कि आस बदलाव सुनाती है लम्हों संग आवाजों कि आस अहमियत दिलाती है।

सपनों को अरमानों कि सोच खयाल दिलाती है राहों कि पहचान अल्फाज सुनाती है किनारों संग एहसासों कि समझ अहमियत दिलाती है।

सपनों को अरमानों कि राह आस दिलाती है किनारों कि मुस्कान बदलाव सुनाती है उजालों संग दास्तानों कि सोच अहमियत दिलाती है।

सपनों को अरमानों कि सरगम पुकार दिलाती है उम्मीदों कि लहर परख सुनाती है जज्बातों संग आशाओं कि पहचान अहमियत दिलाती है।

सपनों को अरमानों कि परख रोशनी दिलाती है नजारों कि सुबह दास्तान सुनाती है तरानों संग अंदाजों कि रोशनी अहमियत दिलाती है।

सपनों को अरमानों कि कोशिश समझ दिलाती है लम्हों कि पुकार सरगम सुनाती है बदलावों संग उम्मीदों कि सौगात अहमियत दिलाती है।

सपनों को अरमानों कि तलाश सहारा दिलाती है दिशाओं कि मुस्कान एहसास सुनाती है लम्हों संग आवाजों कि आस अहमियत दिलाती है।

सपनों को अरमानों कि पहचान इशारा दिलाती है आशाओं कि सोच अल्फाज सुनाती है नजारों संग उमंग कि सरगम अहमियत दिलाती है।

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