Monday 12 September 2022

कविता. ४५६२. उम्मीद कि वह मुस्कान।

                                                उम्मीद कि वह मुस्कान।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई इशारा देती है एहसासों कि आंधी अक्सर सहारा देती है लम्हों कि लहरे उमंग कि धाराएं देकर चलती है।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई पुकार देती है नजारों कि सौगात अक्सर तराना देती है आशाओं कि सरगम दिशाओं कि समझ देकर चलती है।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई राह देती है जज्बातों कि सुबह अक्सर सपना देती है कदमों कि आहट आवाजों कि धून देकर चलती है।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई परख देती है तरानों कि सोच अक्सर बदलाव देती है किनारों कि सुबह खयालों कि सरगम देकर चलती है।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई सहारा देती है जज्बातों कि पहचान अक्सर इशारा देती है अदाओं कि परख दास्तानों कि राह देकर चलती है।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई सरगम देती है आशाओं कि पुकार अक्सर पहचान देती है नजारों कि अहमियत लहरों कि कोशिश देकर चलती है।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई सपना देती है इशारों कि सौगात अक्सर तराना देती है इरादों कि परख आवाजों कि पुकार देकर चलती है।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई तलाश देती है लम्हों कि पहचान अक्सर जज्बात देती है अदाओं कि सौगात आशाओं कि सोच देकर चलती है।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई बदलाव देती है इरादों कि सुबह अक्सर सहारा देती है एहसासों कि रोशनी अरमानों कि सरगम देकर चलती है।

उम्मीद कि वह मुस्कान कोई कोशिश देती है दास्तानों कि परख अक्सर उजाला देती है खयालों कि समझ अल्फाजों कि लहर देकर चलती है।

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