Friday, 28 March 2025

कविता. ५४६० सपनों को राहों की।

                              सपनों को राहों की।

सपनों को राहों की महफिल अक्सर आवाज सुनाती है आशाओं की सरगम संग तलाश दिलाती है कदमों को अल्फाजों की सोच सुनाती है।

सपनों को राहों की रोशनी अक्सर अरमान सुनाती है जज्बातों की आस संग मुस्कान दिलाती है लहरों को खयालों की सोच सुनाती है।

सपनों को राहों की अहमियत अक्सर एहसास सुनाती है नजारों की समझ संग दास्तान दिलाती है किनारों को सोच सुनाती है।

सपनों को राहों की सुबह अक्सर कोशिश सुनाती है एहसासों की उम्मीद संग अफसाना दिलाती है अदाओं को सोच सुनाती है।

सपनों को राहों की उमंग अक्सर आहट सुनाती है जज्बातों की कोशिश संग तराना दिलाती है इरादों को सोच सुनाती है।

सपनों को राहों की पुकार अक्सर सरगम सुनाती है दिशाओं की धून संग पहचान दिलाती है उजालों को सोच सुनाती है।

सपनों को राहों की समझ अक्सर आस सुनाती है दास्तानों की पुकार संग आवाज दिलाती है अंदाजों को सोच सुनाती है।

सपनों को राहों की सौगात अक्सर खयाल सुनाती है तरानों की सौगात संग इरादा दिलाती है अरमानों को सोच सुनाती है।

सपनों को राहों की आहट अक्सर परख सुनाती है अंदाजों की रोशनी संग सुबह दिलाती है धाराओं को सोच सुनाती है।

सपनों को राहों की अंदाज अक्सर पहचान सुनाती है इरादों की सोच संग अफसाना दिलाती है नजारों को सोच सुनाती है।

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कविता. ५४७२. ज्ञएहसास की कोई।

                           एहसास की कोई। एहसास की कोई पुकार तलाश दिलाती है कदमों को जज्बातों की आहट उजाला देकर जाती है अरमानों की आस सुनाती ...