Sunday, 9 March 2025

कविता. ५४४१. जज्बात संग मुस्कान अक्सर।

                     जज्बात संग मुस्कान अक्सर।

जज्बात संग मुस्कान अक्सर इशारा देती है तरानों को लहरों की अहमियत कोशिश देती है कदमों को अल्फाजों की दुनिया देती है।

जज्बात संग मुस्कान अक्सर तलाश देती है नजारों को लम्हों की सरगम सौगात देती है किनारों को इशारों की दुनिया देती है।

जज्बात संग मुस्कान अक्सर आवाज देती है इरादों को बदलावों की पुकार सुबह देती है एहसासों को अंदाजों की दुनिया देती है।

जज्बात संग मुस्कान अक्सर कोशिश देती है अदाओं को अरमानों की सोच उमंग देती है उजालों को सपनों की दुनिया देती है।

जज्बात संग मुस्कान अक्सर आस देती है अफसानों को दिशाओं की रोशनी उम्मीद देती है खयालों को राहों की दुनिया देती है।

जज्बात संग मुस्कान अक्सर दास्तान देती है नजारों को राहों की अहमियत अंदाज देती है धाराओं को उम्मीदों की दुनिया देती है।

जज्बात संग मुस्कान अक्सर अफसाना देती है लम्हों को किनारों की सोच उजाला देती है आशाओं को बदलावों की दुनिया देती है।

जज्बात संग मुस्कान अक्सर अरमान देती है कदमों को आवाजों की धून कोशिश देती है दास्तानों को सपनों की दुनिया देती है।

जज्बात संग मुस्कान अक्सर अंदाज देती है एहसासों को धाराओं की समझ सोच देती है अल्फाजों को आशाओं की दुनिया देती है।

जज्बात संग मुस्कान अक्सर परख देती है इशारों को उजालों की कश्ती पहचान देती है खयालों को आवाजों की दुनिया देती है।

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कविता. ५४७२. ज्ञएहसास की कोई।

                           एहसास की कोई। एहसास की कोई पुकार तलाश दिलाती है कदमों को जज्बातों की आहट उजाला देकर जाती है अरमानों की आस सुनाती ...