Friday, 7 March 2025

कविता ५४३९. कदमों को लहरों की।

                           कदमों को लहरों की।

कदमों को लहरों की पुकार अरमान दिलाती है आशाओं की सरगम पहचान सुनाती है उजालों को सपनों की आहट सुनाती है।

कदमों को लहरों की कोशिश खयाल दिलाती है लम्हों की अहमियत दास्तान सुनाती है तरानों को बदलावों की आहट सुनाती है।

कदमों को लहरों की आस अफसाना दिलाती है नजारों की आस बदलाव सुनाती है इशारों को लम्हों की आहट सुनाती है।

कदमों को लहरों की उमंग परख दिलाती है तरानों की पहचान आवाज सुनाती है एहसासों को सपनों की आहट सुनाती है।

कदमों को लहरों की उम्मीद सौगात दिलाती है इरादों की रोशनी अंदाज सुनाती है अल्फाजों को राहों की आहट सुनाती है।

कदमों को लहरों की तलाश सहारा दिलाती है जज्बातों की राह मुस्कान सुनाती है उम्मीदों को अदाओं की आहट सुनाती है।

कदमों को लहरों की सोच एहसास दिलाती है किनारों की सुबह अफसाना सुनाती है इरादों को आवाजों की आहट सुनाती है।

कदमों को लहरों की अदा अल्फाज दिलाती है दास्तानों की समझ सरगम सुनाती है दिशाओं को अफसानों की आहट सुनाती है।

कदमों को लहरों की सौगात किनारा दिलाती है नजारों की पहचान आस सुनाती है अंदाजों को सपनों की आहट सुनाती है।

कदमों को लहरों की सुबह इशारा दिलाती है अफसानों की उमंग सपना सुनाती है दिशाओं को खयालों की आहट सुनाती है।


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कविता. ५४७२. ज्ञएहसास की कोई।

                           एहसास की कोई। एहसास की कोई पुकार तलाश दिलाती है कदमों को जज्बातों की आहट उजाला देकर जाती है अरमानों की आस सुनाती ...