Saturday, 29 March 2025

कविता. ५४६१. खयालों की सरगम संग।

                        खयालों की सरगम संग।

खयालों की सरगम संग आशाओं की महफिल मुस्कान दिलाती है इशारों को जज्बातों की तलाश एहसास सुनाती है।

खयालों की सरगम संग आवाजों की धून अफसाना दिलाती है तरानों को अरमानों की सौगात एहसास सुनाती है।

खयालों की सरगम संग नजारों की आस अहमियत दिलाती है लहरों को अफसानों की सुबह एहसास सुनाती है।

खयालों की सरगम संग अल्फाजों की समझ कोशिश दिलाती है कदमों को बदलावों की पुकार एहसास सुनाती है।

खयालों की सरगम संग किनारों की उमंग पहचान दिलाती है आवाजों को धाराओं की आवाज एहसास सुनाती है।

खयालों की सरगम संग दास्तानों की उम्मीद नजारा दिलाती है आशाओं को अंदाजों की सोच एहसास सुनाती है।

खयालों की सरगम संग‌ उजालों की रोशनी परख दिलाती है किनारों को इशारों की आहट एहसास सुनाती है।

खयालों की सरगम संग जज्बातों की आहट आस दिलाती है लम्हों को उम्मीदों की अहमियत एहसास सुनाती है।

खयालों की सरगम संग अफसानों की राह दास्तान दिलाती है अफसानों को दिशाओं की कोशिश एहसास सुनाती है।

खयालों की सरगम संग दिशाओं की आस आवाज दिलाती है उजालों को सपनों की पुकार एहसास सुनाती है।

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कविता. ५४७२. ज्ञएहसास की कोई।

                           एहसास की कोई। एहसास की कोई पुकार तलाश दिलाती है कदमों को जज्बातों की आहट उजाला देकर जाती है अरमानों की आस सुनाती ...