Thursday, 20 March 2025

कविता. ५४५२. आशाओं संग बदलावों की।

                         आशाओं संग बदलावों की।

आशाओं संग बदलावों की पुकार अफसाना सुनाती है जज्बातों को लहरों की आहट सरगम सुनाती है तरानों को इशारों की आस सुनाती है।

आशाओं संग बदलावों की रोशनी एहसास सुनाती है इरादों को किनारों की सुबह पहचान सुनाती है कदमों को सपनों की आस सुनाती है।

आशाओं संग बदलावों की उमंग दास्तान सुनाती है राहों को अंदाजों की कोशिश सहारा सुनाती है खयालों को नजारों की आस सुनाती है।

आशाओं संग बदलावों की सौगात मुस्कान सुनाती है आवाजों को धाराओं की समझ सोच सुनाती है अरमानों को लम्हों की आस सुनाती है।

आशाओं संग बदलावों की सुबह अंदाज सुनाती है अरमानों को नजारों की अदा उमंग सुनाती है इशारों को उजालों की आस सुनाती है।

आशाओं संग बदलावों की आवाज सरगम सुनाती है लम्हों को एहसासों की रोशनी अफसाना सुनाती है अल्फाजों को राहों की आस सुनाती है।

आशाओं संग बदलावों की दास्तान तराना सुनाती है अंदाजों को सपनों की पुकार अहमियत सुनाती है तरानों को लम्हों की आस सुनाती है।

आशाओं संग बदलावों की समझ अरमान सुनाती है जज्बातों को लहरों की पहचान सोच सुनाती है नजारों को दिशाओं की आस सुनाती है।

आशाओं संग बदलावों की परख तलाश सुनाती है राहों को आवाजों की धून अहमियत सुनाती है एहसासों को दास्तानों की आस सुनाती है।

आशाओं संग बदलावों की सोच किनारा सुनाती है अरमानों को खयालों की सौगात लहर सुनाती है अफसानों को आवाजों की आस सुनाती है।


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कविता. ५४७२. ज्ञएहसास की कोई।

                           एहसास की कोई। एहसास की कोई पुकार तलाश दिलाती है कदमों को जज्बातों की आहट उजाला देकर जाती है अरमानों की आस सुनाती ...