Wednesday 28 September 2022

कविता. ४५७८. इशारों को लम्हों कि।

                                  इशारों को लम्हों कि।

इशारों को लम्हों कि कहानी सहारे देती है कदमों कि सोच अक्सर आशाओं कि तलाश दिलाती है नजारों से जुडकर सपनों कि कोशिश देती है।

इशारों को लम्हों कि रोशनी तराने देती है अंदाजों कि सरगम अक्सर बदलावों कि सोच दिलाती है जज्बातों से जुडकर खयालों कि कोशिश देती है।

इशारों को लम्हों कि पुकार सौगात देती है अदाओं कि परख अक्सर तरानों कि आस दिलाती है लहरों से जुडकर आवाजों कि कोशिश देती है।

इशारों को लम्हों कि राह मुस्कान देती है आशाओं कि सुबह अक्सर दिशाओं कि समझ दिलाती है सपनों से जुडकर इरादों कि कोशिश देती है।

इशारों को लम्हों कि आहट अरमान देती है दास्तानों कि परख अक्सर आवाजों कि धून दिलाती है एहसासों से जुडकर उजालों कि कोशिश देती है।

इशारों को लम्हों कि आस पहचान देती है अदाओं कि पुकार अक्सर उम्मीदों कि रोशनी दिलाती है आशाओं से जुडकर लहरों कि कोशिश देती है।

इशारों को लम्हों कि परख उमंग देती है कदमों कि आहट अक्सर सपनों कि सुबह दिलाती है अंदाजों से जुडकर इरादों कि कोशिश देती है।

इशारों को लम्हों कि सरगम आवाज देती है किनारों कि सोच अक्सर दास्तानों कि पुकार दिलाती है एहसासों से जुडकर नजारों कि कोशिश देती है।

इशारों को लम्हों कि लहर अरमान देती है खयालों कि समझ अक्सर उमंग कि रोशनी दिलाती है उम्मीदों से जुडकर अल्फाजों कि कोशिश देती है।

इशारों को लम्हों कि मुस्कान सहारा देती है नजारों कि लहर अक्सर खयालों कि आस दिलाती है अफसानों से जुडकर आशाओं कि कोशिश देती है।






 

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