Monday 19 September 2022

कविता. ४५६९. कदमों संग खयालों कि।

                                       कदमों संग खयालों कि।

कदमों संग खयालों कि समझ सपना दिलाती है अदाओं कि पहचान अक्सर इशारों कि सरगम सुनाती है तरानों पर आवाजों कि धून पुकार दिलाती है।

कदमों संग खयालों कि सौगात कोशिश दिलाती है लहरों कि सरगम अक्सर बदलावों कि सोच सुनाती है इरादों पर आशाओं कि आस पुकार दिलाती है।

कदमों संग खयालों कि परख आस दिलाती है लम्हों कि सुबह अक्सर दिशाओं कि सुबह सुनाती है नजारों पर उजालों कि समझ पुकार दिलाती है।

कदमों संग खयालों कि राह सरगम दिलाती है किनारों कि सोच अक्सर दास्तानों कि पहचान सुनाती है जज्बातों पर उम्मीदों कि लहर पुकार दिलाती है।

कदमों संग खयालों कि मुस्कान दास्तान दिलाती है आशाओं कि राह अक्सर उमंग कि समझ सुनाती है इशारों पर एहसासों कि सोच पुकार दिलाती है।

कदमों संग खयालों कि रोशनी पहचान दिलाती है नजारों कि समझ अक्सर उम्मीदों कि आस सुनाती है लम्हों पर बदलावों कि सौगात पुकार दिलाती है।

कदमों संग खयालों कि अदा अल्फाज दिलाती है दास्तानों कि परख अक्सर जज्बातों कि सोच सुनाती है उम्मीदों पर अंदाजों कि समझ पुकार दिलाती है।

कदमों संग खयालों कि समझ तलाश दिलाती है किनारों कि सुबह अक्सर सपनों कि कोशिश सुनाती है उजालों पर सपनों कि पहचान पुकार दिलाती है।

कदमों संग खयालों कि सरगम कोशिश दिलाती है लम्हों कि रोशनी अक्सर नजारों कि सुबह सुनाती है इशारों पर एहसासों कि आस पुकार दिलाती है।

कदमों संग खयालों कि आवाज उमंग दिलाती है एहसासों कि सोच अक्सर इशारों कि मुस्कान सुनाती है लहरों पर अफसानों कि समझ पुकार दिलाती है।

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