Friday, 16 September 2022

कविता. ४५६६. लम्हों कि रोशनी अक्सर।

                                 लम्हों कि रोशनी अक्सर।

लम्हों कि रोशनी अक्सर उजालों कि सरगम पुकार दिलाती है सपनों को अरमानों कि अहमियत अफसाना देती है लहरों कि सुबह बदलाव सुनाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर उम्मीदों कि राह अल्फाज दिलाती है नजारों को अंदाजों कि सौगात कोशिश देती है नजारों कि पहचान बदलाव सुनाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर जज्बातों कि सोच सरगम दिलाती है इशारों को आशाओं कि सुबह तलाश देती है कदमों कि आहट बदलाव सुनाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर दास्तानों कि परख मुस्कान दिलाती है आवाजों को इरादों कि सौगात सोच देती है तरानों कि पुकार बदलाव सुनाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर दिशाओं कि समझ सपना‌ दिलाती है अदाओं को तरानों कि पहचान उमंग देती है एहसासों कि आस बदलाव सुनाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर खयालों कि आस तराना दिलाती है खयालों को नजारों कि पहचान इशारा देती है अंदाजों कि सौगात बदलाव सुनाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर दिशाओं कि समझ सुबह दिलाती है जज्बातों को कदमों कि अदा उम्मीद देती है खयालों कि समझ बदलाव सुनाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर लहरों कि कोशिश पहचान दिलाती है आशाओं को किनारों कि सोच सरगम देती है नजारों कि सौगात बदलाव सुनाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर जज्बातों कि सोच अरमान दिलाती है तरानों को उम्मीदों कि लहर पहचान देती है राहों कि पुकार बदलाव सुनाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर तरानों कि पुकार सरगम दिलाती है उजालों को सपनों कि कोशिश परख देती है आशाओं कि सरगम बदलाव सुनाती है।

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