Saturday 1 October 2022

कविता. ४५८१. कदमों को नजारों कि।

                                        कदमों को नजारों कि।

कदमों को नजारों कि सोच समझ देती है नजारों को दिशाओं कि समझ कोशिश देकर जाती है उजालों से मुस्कान कि सोच सरगम सुनाती है।

कदमों को नजारों कि सौगात सुबह देती है आशाओं को बदलावों कि सोच सरगम देकर जाती है इशारों से खयाल कि पहचान सरगम सुनाती है।

कदमों को नजारों कि पहचान पुकार देती है दास्तानों को एहसासों कि समझ सपना देकर जाती है इरादों से आस कि सोच सरगम सुनाती है।

कदमों को नजारों कि राह तलाश देती है तरानों को उम्मीदों कि लहर अरमान देकर जाती है आशाओं से बदलावों कि सौगात सरगम सुनाती है।

कदमों को नजारों कि परख रोशनी देती है राहों को अंदाजों कि आस तलाश देकर जाती है आवाजों से किनारों कि मुस्कान सरगम सुनाती है।

कदमों को नजारों कि लहर एहसास देती है आवाजों को अदाओं कि समझ इशारा देकर जाती है अंदाजों से लम्हों कि पुकार सरगम सुनाती है।

कदमों को नजारों कि समझ खयाल देती है दिशाओं को नजारों कि सोच अफसाना देकर जाती है इशारों से किनारों कि सौगात सरगम सुनाती है।

कदमों को नजारों कि आस मुस्कान देती है एहसासों को राहों कि तलाश कोशिश देकर जाती है जज्बातों से लहरों कि खयाल सरगम सुनाती है।

कदमों को नजारों कि उमंग पहचान देती है किनारों को उजालों कि पहचान पुकार देकर जाती है नजारों से लम्हों कि रोशनी सरगम सुनाती है।

कदमों को नजारों कि सौगात तलाश देती है आशाओं को बदलावों कि परख रोशनी देकर जाती है दिशाओं कि समझ सरगम सुनाती है।



No comments:

Post a Comment

कविता. ५१७६. अरमानों को दिशाओं की।

                           अरमानों को दिशाओं की। अरमानों को दिशाओं की कहानी समझ दिलाती है लहरों को नजारों की सोच एहसास देकर जाती है जज्बातों...