Tuesday, 18 October 2022

कविता. ४५९८. उजालों कि राह अक्सर।

                                         उजालों कि राह अक्सर।

उजालों कि राह अक्सर खयालों कि कोशिश तराने देती है अदाओं को लहरों कि सरगम अहमियत सुनाती है इशारों को अंदाजों कि आस दिलाती है।

उजालों कि राह अक्सर उम्मीदों कि लहर इशारे देती है कदमों को अल्फाजों कि पहचान अरमान सुनाती है जज्बातों को कदमों कि आस दिलाती है।

उजालों कि राह अक्सर तरानों कि सुबह दास्ताने देती है खयालों को नजारों कि सोच कोशिश सुनाती है तरानों को इरादों कि आस दिलाती है।

उजालों कि राह अक्सर दिशाओं कि समझ इरादे देती है किनारों को सपनों कि सौगात तलाश सुनाती है लम्हों को दिशाओं कि आस दिलाती है।

उजालों कि राह अक्सर नजारों कि सोच किनारे देती है अदाओं को अंदाजों कि सुबह परख सुनाती है आवाजों को बदलावों कि आस दिलाती है।

उजालों कि राह अक्सर इशारों कि मुस्कान अफसाने देती है कदमों को अदाओं कि पुकार आवाज सुनाती है इशारों को लम्हों कि आस दिलाती है।

उजालों कि राह अक्सर अदाओं कि सौगात नजारे देती है आशाओं को बदलावों कि सोच खयाल सुनाती है दिशाओं को कदमों कि आस दिलाती है।

उजालों कि राह अक्सर आवाजों कि धून इशारे देती है नजारों को दिशाओं कि अहमियत अफसाना सुनाती है तरानों को अरमानों कि आस दिलाती है।

उजालों कि राह अक्सर कदमों कि आहट उम्मीदे देती है किनारों को लहरों कि सुबह दास्तान सुनाती है एहसासों को खयालों कि आस दिलाती है।

उजालों कि राह अक्सर सपनों कि लहर आवाजे देती है तरानों को अरमानों कि पुकार पहचान सुनाती है आशाओं को जज्बातों कि आस दिलाती है।

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