Saturday, 22 October 2022

कविता. ४६०२. सपनों को एहसासों कि।

                                      सपनों को एहसासों कि।

सपनों को एहसासों कि रोशनी आस सुनाती है दिशाओं को कदमों कि आहट अफसाना दिलाती है लम्हों से आशाओं कि सरगम देकर जाती है।

सपनों को एहसासों कि मुस्कान नजारा सुनाती है तरानों को अरमानों कि सौगात कोशिश दिलाती है लहरों से अदाओं कि आवाज देकर जाती है।

सपनों को एहसासों कि सुबह दास्तान सुनाती है नजारों को खयालों कि समझ रोशनी दिलाती है जज्बातों से अंदाजों कि सौगात देकर जाती है।

सपनों को एहसासों कि उमंग पुकार सुनाती है आशाओं को बदलावों कि सोच अरमान दिलाती है खयालों से उम्मीदों कि पहचान देकर जाती है।

सपनों को एहसासों कि समझ पहचान सुनाती है उजालों को अदाओं कि परख रोशनी दिलाती है इशारों से आशाओं कि सुबह देकर जाती है।

सपनों को एहसासों कि तलाश सरगम सुनाती है राहों को अंदाजों कि आस पहचान दिलाती है उम्मीदों से इरादों कि अहमियत देकर जाती है।

सपनों को एहसासों कि लहर खयाल सुनाती है लम्हों को किनारों कि मुस्कान दास्तान दिलाती है नजारों से कदमों कि आहट देकर जाती है।

सपनों को एहसासों कि राह आवाज सुनाती है उम्मीदों को तरानों कि रोशनी अल्फाज दिलाती है लहरों से दिशाओं कि कोशिश देकर जाती है।

सपनों को एहसासों कि पुकार आस सुनाती है नजारों को दिशाओं कि सुबह अफसाना दिलाती है इशारों से अरमानों कि पहचान देकर जाती है।

सपनों को एहसासों कि परख किनारा सुनाती है तरानों को उम्मीदों कि लहर मुस्कान दिलाती है दिशाओं से आशाओं कि सरगम देकर जाती है।

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