Monday, 3 October 2022

कविता. ४५८३. अल्फाजों कि मुस्कान अक्सर।

                                     अल्फाजों कि मुस्कान अक्सर।

अल्फाजों कि मुस्कान अक्सर इशारों कि सौगात कोशिश दिलाती है इरादों से उजालों कि सुबह किनारा देती है कदमों कि आहट से एहसास सुनाती है।

अल्फाजों कि मुस्कान अक्सर उम्मीदों कि लहर अरमान जगाती है आशाओं से जज्बातों कि सोच नजारा देती है राहों कि पुकार से एहसास सुनाती है।

अल्फाजों कि मुस्कान अक्सर खयालों कि आस सहारा जगाती है अंदाजों से लम्हों कि पुकार रोशनी देती है अदाओं कि परख से एहसास सुनाती है।

अल्फाजों कि मुस्कान अक्सर नजारों कि सोच मुस्कान जगाती है तरानों से दिशाओं कि अहमियत कोशिश देती है खयालों कि समझ से एहसास सुनाती है।

अल्फाजों कि मुस्कान अक्सर अंदाजों कि सरगम आस जगाती है लम्हों से आवाजों कि धून पहचान देती है किनारों कि सोच से एहसास सुनाती है।

अल्फाजों कि मुस्कान अक्सर दास्तानों कि परख बदलाव जगाती है लहरों से अंदाजों कि सौगात राह देती है इशारों कि सुबह से एहसास सुनाती है।

अल्फाजों कि मुस्कान अक्सर लम्हों कि पहचान जगाती है इरादों से अदाओं कि परख सहारा देती है दास्तानों कि रोशनी से एहसास सुनाती है।

अल्फाजों कि मुस्कान अक्सर उम्मीदों कि सरगम जगाती है सपनों से खयालों कि सोच पहचान देती है आवाजों कि सोच से एहसास सुनाती है।

अल्फाजों कि मुस्कान अक्सर राहों कि पुकार जगाती है नजारों से उम्मीदों कि पुकार रोशनी देती है जज्बातों कि पहचान से एहसास सुनाती है।

अल्फाजों कि मुस्कान अक्सर उजालों कि सुबह जगाती है दिशाओं से तरानों कि लहर परख देती है अंदाजों कि आहट से एहसास सुनाती है।

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