Thursday, 6 October 2022

कविता. ४५८६. उमंग के संग आशाओं कि।

                                          उमंग के संग आशाओं कि।

उमंग के संग आशाओं कि लहर अफसाना दिलाती है कदमों को अदाओं कि परख कोशिश सुनाती है राहों को अंदाजों कि सौगात सरगम सुनाती है।

उमंग के संग आशाओं कि सौगात कोशिश दिलाती है दिशाओं को खयालों कि समझ सपना सुनाती है तरानों को अरमानों कि मुस्कान सरगम सुनाती है।

उमंग के संग आशाओं कि सुबह दास्तान दिलाती है लहरों को इशारों कि पहचान नजारा सुनाती है उजालों को आवाजों कि धून सरगम सुनाती है।

उमंग संग आशाओं कि सोच किनारा दिलाती है राहों को नजारों कि सोच अल्फाज सुनाती है बदलावों को लहरों कि तलाश सरगम सुनाती है।

उमंग संग आशाओं कि परख खयाल दिलाती है लम्हों को किनारों कि मुस्कान पहचान सुनाती है अदाओं को तरानों कि सुबह सरगम सुनाती है।

उमंग संग आशाओं कि सौगात इशारा दिलाती है उजालों को बदलावों कि समझ एहसास सुनाती है कदमों को आशाओं कि पुकार सरगम सुनाती है।

उमंग संग आशाओं कि मुस्कान रोशनी दिलाती है सपनों को अरमानों कि पुकार अरमान सुनाती है जज्बातों को अंदाजों कि आस सरगम सुनाती है।

उमंग संग आशाओं कि तलाश पहचान दिलाती है लहरों को इशारों कि रोशनी सोच सुनाती है किनारों को उजालों कि सुबह सरगम सुनाती है।

उमंग संग आशाओं कि अदा कोशिश दिलाती है नजारों को राहों कि अहमियत अफसाना सुनाती है तरानों को उम्मीदों कि लहर सरगम सुनाती है।

उमंग संग आशाओं कि रोशनी आस दिलाती है अंदाजों को खयालों कि सौगात तलाश सुनाती है लम्हों को दास्तानों कि परख सरगम सुनाती है।

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