Friday, 28 October 2022

कविता. ४६०८. उजालों से उम्मीदों कि।

                                         उजालों से उम्मीदों कि।

उजालों से उम्मीदों कि लहर एहसास सुनाती है नजारों को राहों कि आस अरमान जगाती है लम्हों को किनारों कि सोच अफसाना दिलाती है।

उजालों से उम्मीदों कि कोशिश सपना सुनाती है लम्हों को खयालों कि समझ सरगम जगाती है तरानों को अरमानों कि सौगात अफसाना दिलाती है।

उजालों से उम्मीदों कि रोशनी सहारा सुनाती है बदलावों को लम्हों कि पुकार पहचान जगाती है कदमों को अदाओं कि परख अफसाना दिलाती है।

उजालों से उम्मीदों कि पुकार इशारा सुनाती है तरानों को जज्बातों कि सोच बदलाव जगाती है आशाओं को इरादों कि सुबह अफसाना दिलाती है।

उजालों से उम्मीदों कि आस मुस्कान सुनाती है खयालों को अंदाजों कि लहर अल्फाज जगाती है कोशिश को अदाओं कि पुकार अफसाना दिलाती है।

उजालों से उम्मीदों कि आवाज उमंग सुनाती है सपनों को इरादों कि तलाश इरादा जगाती है दास्तानों को आशाओं कि सरगम अफसाना दिलाती है।

उजालों से उम्मीदों कि समझ पहचान सुनाती है इशारों को लम्हों कि राह खयाल जगाती है कदमों को अंदाजों कि लहर अफसाना दिलाती है।

उजालों से उम्मीदों कि परख पुकार सुनाती है बदलावों को खयालों कि समझ तराना जगाती है किनारों को अदाओं कि राह अफसाना दिलाती है।

उजालों से उम्मीदों कि सुबह कोशिश सुनाती है दिशाओं को कदमों कि आहट उमंग जगाती है नजारों को इशारों कि लहर अफसाना दिलाती है।

उजालों से उम्मीदों कि सोच अरमान सुनाती है दास्तानों को अदाओं कि लहर मुस्कान जगाती है जज्बातों को कदमों कि सोच अफसाना दिलाती है।

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कविता. ५४७८. एक कोशिश अक्सर।

                       एक कोशिश अक्सर। एक कोशिश अक्सर एहसास सुनाती है खयालों संग नजारों की आस अरमान जगाती है किनारों को कदमों की सौगात दिलात...