Saturday, 29 October 2022

कविता. ४६०९. दिशाओं को कदमों कि।

                                    दिशाओं को कदमों कि।

दिशाओं को कदमों कि आहट अरमान सुनाती है तरानों पर एहसासों कि समझ इशारा दिलाती है सपनों को अल्फाजों कि मुस्कान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि आस अफसाना सुनाती है जज्बातों पर उम्मीदों कि पहचान परख दिलाती है लम्हों को खयालों कि मुस्कान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि लहर पहचान सुनाती है दास्तानों पर बदलावों कि सोच आवाज दिलाती है नजारों को अंदाजों कि मुस्कान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि सौगात कोशिश सुनाती है राहों पर अफसानों कि सुबह कोशिश दिलाती है उजालों को किनारों कि मुस्कान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि राह अल्फाज सुनाती है नजारों पर खयालों कि पुकार रोशनी दिलाती है आशाओं को बदलावों कि मुस्कान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि उमंग परख सुनाती है रोशनी पर एहसासों कि समझ बदलाव दिलाती है अंदाजों को नजारों कि मुस्कान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि सोच खयाल सुनाती है अंदाजों पर इशारों कि परख कोशिश दिलाती है अरमानों को उजालों कि मुस्कान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि उम्मीद तलाश सुनाती है किनारों पर आवाजों कि धून पुकार दिलाती है अफसानों को राहों कि मुस्कान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि सरगम आस सुनाती है दास्तानों पर उजालों कि सौगात सोच दिलाती है लम्हों को दास्तानों कि मुस्कान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि आवाज जज्बात सुनाती है अदाओं पर अंदाजों कि परख रोशनी दिलाती है सपनों को एहसासों कि मुस्कान दिलाती है।

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