Monday, 10 October 2022

कविता. ४५९०. अंदाजों को किनारों कि।

                                    अंदाजों को किनारों कि।

अंदाजों को किनारों कि सोच सरगम सुनाती है नजारों कि पुकार एहसास देकर जाती है जज्बातों कि मुस्कान अक्सर उम्मीदों कि लहर दिलाती है।

अंदाजों को किनारों कि सुबह दास्तान सुनाती है लम्हों कि रोशनी अफसाना देकर जाती है दिशाओं कि समझ अक्सर बदलावों कि सौगात दिलाती है।

अंदाजों को किनारों कि पहचान इशारा सुनाती है इशारों कि कोशिश तलाश देकर जाती है आशाओं कि सरगम अक्सर उजालों कि पुकार दिलाती है।

अंदाजों को किनारों कि सौगात खयाल सुनाती है तरानों कि सुबह दास्तान देकर जाती है नजारों कि आस अक्सर इरादों कि आवाज दिलाती है।

अंदाजों को किनारों कि परख उमंग सुनाती है इरादों कि सोच आस देकर जाती है अरमानों कि पुकार अक्सर उम्मीदों कि पहचान दिलाती है।

अंदाजों को किनारों कि अरमान आस सुनाती है कदमों कि आहट पुकार देकर जाती है आवाजों कि धून अक्सर खयालों कि समझ दिलाती है।

अंदाजों को किनारों कि राह अफसाना सुनाती है दास्तानों कि परख मुस्कान देकर जाती है इशारों कि सौगात अक्सर उजालों कि सुबह दिलाती है।

अंदाजों को किनारों कि राह कोशिश सुनाती है दिशाओं कि समझ सपना देकर जाती है अल्फाजों कि पहचान अक्सर तरानों कि सोच दिलाती है।

अंदाजों को किनारों कि पहचान इशारा सुनाती है राहों कि परख अरमान देकर जाती है आशाओं कि सरगम अक्सर बदलावों कि समझ दिलाती है।

अंदाजों को किनारों कि समझ आवाज सुनाती है कदमों कि आहट अल्फाज देकर जाती है तरानों कि सुबह अक्सर दिशाओं कि पहचान दिलाती है।

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