Friday, 14 October 2022

कविता. ४५९४. जज्बात कि सौगात अक्सर।

                                 जज्बात कि सौगात अक्सर।

जज्बात कि सौगात अक्सर आशाओं कि खयाल दिलाती है लहरों को राहों कि पहचान किनारा दिलाती है कोशिश से आवाजों कि धून दिलाती है।

जज्बात कि सौगात अक्सर अदाओं कि परख दिलाती है कदमों को उजालों कि अहमियत उजाला दिलाती है इशारों से खयालों कि धून दिलाती है।

जज्बात कि सौगात अक्सर राहों कि सरगम दिलाती है किनारों को सपनों कि सरगम आस दिलाती है अल्फाजों से लम्हों कि धून दिलाती है।

जज्बात कि सौगात अक्सर दिशाओं कि समझ दिलाती है दिशाओं को बदलावों कि सोच रोशनी दिलाती है नजारों से कदमों कि धून दिलाती है।

जज्बात कि सौगात अक्सर तरानों कि पहचान दिलाती है इशारों को दास्तानों कि परख अदा दिलाती है राहों से अफसानों कि धून दिलाती है।

जज्बात कि सौगात अक्सर अंदाजों कि सोच दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ किनारा दिलाती है अदाओं से इरादों कि धून दिलाती है।

जज्बात कि सौगात अक्सर नजारों कि पुकार दिलाती है दिशाओं को कदमों कि आहट अल्फाज दिलाती है उजालों से उम्मीदों कि धून दिलाती है।

जज्बात कि सौगात अक्सर उम्मीदों कि सरगम दिलाती है नजारों को आशाओं कि सुबह दास्तान दिलाती है अदाओं से अरमानों कि धून दिलाती है।

जज्बात कि सौगात अक्सर एहसासों कि रोशनी दिलाती है लहरों को इशारों कि सोच कोशिश दिलाती है लम्हों से नजारों कि धून दिलाती है।

जज्बात कि सौगात अक्सर इरादों कि किनारा दिलाती है अंदाजों को खयालों कि पहचान परख दिलाती है आशाओं से दास्तानों कि धून दिलाती है।


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