Sunday, 16 October 2022

कविता. ४५९६. आशाओं कि सरगम से।

                                           आशाओं कि सरगम से।

आशाओं कि सरगम से दिशाओं को कदमों कि आवाज सरगम सुनाती है दास्तानों कि मुस्कान अक्सर उम्मीदों से तलाश कि पहचान दिलाती है।

आशाओं कि सरगम से खयालों को नजारों कि पुकार रोशनी दिलाती है लहरों कि कोशिश अक्सर बदलावों से खयाल कि पहचान दिलाती है।

आशाओं कि सरगम से अंदाजों को अदाओं कि परख सौगात दिलाती है नजारों कि समझ अक्सर जज्बातों से लहर कि पहचान दिलाती है।

आशाओं कि सरगम से राहों को उजालों कि सुबह दास्तान सुनाती है किनारों कि सोच अक्सर इशारों से राह कि पहचान दिलाती है।

आशाओं कि सरगम से तरानों को अरमानों कि रोशनी आस सुनाती है खयालों कि सौगात अक्सर इरादों से उमंग कि पहचान दिलाती है।

आशाओं कि सरगम से आवाजों को बदलावों कि सोच कोशिश सुनाती है नजारों कि उमंग अक्सर खयालों से अल्फाज कि पहचान दिलाती है।

आशाओं कि सरगम से लम्हों को दिशाओं कि पुकार सौगात सुनाती है लम्हों कि पुकार अक्सर दास्तानों से एहसास कि पहचान दिलाती है।

आशाओं कि सरगम से अंदाजों को राहों कि सुबह अरमान सुनाती है तरानों कि सुबह अक्सर दिशाओं से कोशिश कि पहचान दिलाती है।

आशाओं कि सरगम से लहरों को नजारों कि सोच आवाज सुनाती है दास्तानों कि परख अक्सर जज्बातों से अंदाज कि पहचान दिलाती है।

आशाओं कि सरगम से खयालों को लहरों कि सौगात सपना सुनाती है उजालों कि सोच अक्सर अरमानों से आस कि पहचान दिलाती है।

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