Wednesday, 5 October 2022

कविता. ४५८५. दास्तानों को दिशाओं कि।

                                   दास्तानों को दिशाओं कि।

दास्तानों को दिशाओं कि रोशनी इशारा देती है कदमों को अदाओं कि आहट सुबह दिलाती है खयालों संग उजालों कि सौगात तराना देती है।

दास्तानों को दिशाओं कि समझ सरगम देती है किनारों को सपनों कि कोशिश सोच दिलाती है लम्हों संग जज्बातों कि मुस्कान तराना देती है।

दास्तानों को दिशाओं कि सुबह एहसास देती है नजारों को कदमों कि आहट आवाज दिलाती है उम्मीदों संग इशारों कि राह तराना देती है।

दास्तानों को दिशाओं कि परख पहचान देती है अंदाजों को उजालों कि पुकार रोशनी दिलाती है आशाओं संग अरमानों कि सोच तराना देती है।

दास्तानों को दिशाओं कि लहर कोशिश देती है आशाओं को बदलावों कि पहचान नजारा दिलाती है लहरों संग अदाओं कि परख तराना देती है।

दास्तानों को दिशाओं कि कोशिश सहारा देती है लहरों को किनारों कि समझ सरगम दिलाती है नजारों संग आशाओं कि सुबह तराना देती है।

दास्तानों को दिशाओं कि मुस्कान अल्फाज देती है खयालों को उम्मीदों कि आस अफसाना दिलाती है दिशाओं संग अंदाजों कि समझ तराना देती है।

दास्तानों को दिशाओं कि राह अरमान देती है नजारों को इरादों कि सौगात अल्फाज दिलाती है कदमों संग खयालों कि पहचान तराना देती है।

दास्तानों को दिशाओं कि तलाश सहारा देती है जज्बातों को कदमों कि आहट अरमान दिलाती है लम्हों संग आशाओं कि सरगम तराना देती है।

दास्तानों को दिशाओं कि पुकार सौगात देती है दिशाओं को अंदाजों कि आस अफसाना दिलाती है एहसासों संग इरादों कि राह तराना देती है।


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