Thursday, 27 October 2022

कविता. ४६०७. दास्तान को अंदाजों कि।

                                          दास्तान को अंदाजों कि।

दास्तान को अंदाजों कि समझ सपना दिलाती है दिशाएं कदमों कि आस से अरमान जगाती है लम्हों संग आशाओं कि मुस्कान सहारा देती है।

दास्तान को अंदाजों कि सौगात कोशिश दिलाती है अदाएं तरानों कि सुबह से पहचान जगाती है इशारों संग नजारों कि सोच सहारा देती है।

दास्तान को अंदाजों कि आहट तलाश दिलाती है लहरे इरादों कि सोच से अल्फाज जगाती है उजालों संग अफसानों कितत समझ सहारा देती है।

दास्तान को अंदाजों कि सुबह खयाल दिलाती है मुस्कान एहसासों कि तलाश से राह जगाती है उम्मीदों संग जज्बातों कि सुबह सहारा देती है।

दास्तान को अंदाजों कि राह आवाज दिलाती है इरादा उजालों कि पहचान से नजारा जगाती है खयालों संग अरमानों कि पुकार सहारा देती है।

दास्तान को अंदाजों कि कोशिश सरगम दिलाती है आवाज खयालों कि आस से दिशा जगाती है तरानों संग आशाओं कि सरगम सहारा देती है।

दास्तान को अंदाजों कि सौगात उमंग दिलाती है पुकार किनारों कि पहचान से अफसाना जगाती है इरादों संग कदमों कि आहट सहारा देती है।

दास्तान को अंदाजों कि परख इशारा दिलाती है आस कदमों कि आहट से अरमान जगाती है आवाजों संग दिशाओं कि समझ सहारा देती है।

दास्तान को अंदाजों कि आस तराना दिलाती है तलाश नजारों कि उमंग से एहसास जगाती है आशाओं संग इरादों कि कोशिश सहारा देती है।

दास्तान को अंदाजों कि सोच खयाल दिलाती है आहट उजालों कि राह से कोशिश जगाती है लम्हों संग आशाओं कि सरगम सहारा देती है।

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