Wednesday, 26 October 2022

कविता. ४६०६. राहों को अंदाजों कि।

                                      राहों को अंदाजों कि।

राहों को अंदाजों कि सौगात सपना दिलाती है दिशाओं को कदमों कि आहट खयाल सुनाती है तरानों को अरमानों कि पुकार सरगम सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि सुबह दास्तान दिलाती है किनारों को अदाओं कि परख पहचान सुनाती है जज्बातों को उजालों कि सोच सरगम सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि कोशिश आस दिलाती है तरानों को अरमानों कि पुकार मुस्कान सुनाती है इशारों को लम्हों कि आहट सरगम सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि तलाश आवाज दिलाती है आशाओं को बदलावों कि सौगात एहसास सुनाती है उजालों को सपनों कि परख सरगम सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि आस उमंग दिलाती है नजारों को लम्हों कि समझ कोशिश सुनाती है उम्मीदों को अफसानों कि सौगात सरगम सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि उम्मीद परख दिलाती है दास्तानों को अदाओं कि आहट पुकार सुनाती है कदमों को लम्हों कि आवाज सरगम सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि रोशनी नजारा दिलाती है इरादों को आशाओं कि सोच अरमान सुनाती है किनारों को अल्फाजों कि लहर सरगम सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि मुस्कान अल्फाज दिलाती है दिशाओं को कदमों कि आस कोशिश सुनाती है इशारों को खयालों कि सौगात सरगम सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि परख रोशनी दिलाती है इरादों को नजारों कि पहचान इशारा सुनाती है आवाजों को अदाओं कि परख सरगम सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि सोच एहसास दिलाती है आशाओं को जज्बातों कि मुस्कान पुकार सुनाती है अदाओं को आवाजों कि धून सरगम सुनाती है।

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