Sunday, 9 October 2022

कविता. ४५८९. किनारों को अल्फाजों कि।

                                            किनारों को अल्फाजों कि।

किनारों को अल्फाजों कि मुस्कान सहारा देती है नजारों को दिशाओं कि आस धाराएं देती है खयालों को अंदाजों कि आस एहसास देती है।

किनारों को अल्फाजों कि कोशिश आवाज देती है लहरों को इशारों कि सौगात सरगम देती है अदाओं को तरानों कि सोच एहसास देती है।

किनारों को अल्फाजों कि रोशनी अरमान देती है कदमों को उजालों कि सुबह दास्तान देती है जज्बातों को इशारों कि समझ एहसास देती है।

किनारों को अल्फाजों कि राह अफसाना देती है उम्मीदों को अदाओं कि परख अहमियत देती है कदमों को आशाओं कि मुस्कान एहसास देती है।

किनारों को अल्फाजों कि सुबह दास्तान देती है कोशिश को इरादों कि रोशनी आवाज देती है लम्हों को अरमानों कि पुकार एहसास देती है।

किनारों को अल्फाजों कि तलाश इशारा देती है राहों को अंदाजों कि सोच आस देती है लहरों को कदमों कि आहट एहसास देती है।

किनारों को अल्फाजों कि समझ सपना देती है जज्बातों को आशाओं कि सरगम राह देती है नजारों को दिशाओं कि समझ एहसास देती है।

किनारों को अल्फाजों कि आस आवाज देती है उजालों को सपनों कि लहर बदलाव देती है इरादों को दास्तानों कि परख एहसास देती है।

किनारों को अल्फाजों कि पुकार रोशनी देती है उमंग को राहों कि अहमियत नजारा देती है इशारों को आवाजों कि सोच एहसास देती है।

किनारों को अल्फाजों कि राह तराना देती है कदमों को अदाओं कि सौगात सरगम देती है कोशिश को जज्बातों कि मुस्कान एहसास देती है।

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