Thursday, 13 October 2022

कविता. ४५९३. किनारों संग सपनों से।

                                           किनारों संग सपनों से।

किनारों संग सपनों से एहसासों कि लहर तलाश दिलाती है कदमों को अदाओं कि परख कोशिश सुनाती है लम्हों को खयालों कि सरगम सुनाती है।

किनारों संग सपनों से आवाजों कि धून पुकार दिलाती है नजारों को राहों कि पहचान खयाल सुनाती है उजालों को बदलावों कि सरगम सुनाती है।

किनारों संग सपनों से आशाओं कि राह आस दिलाती है लहरों को अफसानों कि समझ तलाश सुनाती है उम्मीदों को कदमों कि सरगम सुनाती है।

किनारों संग सपनों से अंदाजों कि समझ आवाज दिलाती है उजालों को कदमों कि आहट परख सुनाती है अल्फाजों को राहों कि सरगम सुनाती है।

किनारों संग सपनों से दिशाओं कि सोच अरमान दिलाती है आवाजों को खयालों कि कोशिश लहर सुनाती है उम्मीदों को इशारों कि सरगम सुनाती है।

किनारों संग सपनों से नजारों कि सौगात पहचान दिलाती है जज्बातों को इरादों कि पुकार रोशनी सुनाती है बदलावों को इरादों कि सरगम सुनाती है।

किनारों संग सपनों से उम्मीदों कि पुकार अरमान दिलाती है कदमों को नजारों कि सौगात आस सुनाती है अंदाजों को दास्तानों कि सरगम सुनाती है।

किनारों संग सपनों से इशारों कि रोशनी सुबह दिलाती है लहरों को आशाओं कि पहचान अहमियत सुनाती है उजालों को राहों कि सरगम सुनाती है।

किनारों संग सपनों से आशाओं कि आस दिलाती है खयालों को एहसासों कि रोशनी अल्फाज सुनाती है कदमों को लहरों कि सरगम सुनाती है।

किनारों संग सपनों से दिशाओं कि सोच दिलाती है नजारों को कदमों कि समझ अहमियत सुनाती है लम्हों को इशारों कि सरगम सुनाती है।

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                       एक कोशिश अक्सर। एक कोशिश अक्सर एहसास सुनाती है खयालों संग नजारों की आस अरमान जगाती है किनारों को कदमों की सौगात दिलात...