Sunday, 2 October 2022

कविता. ४५८२. तरानों संग आशाओं कि।

                                         तरानों संग आशाओं कि।

तरानों संग आशाओं कि लहर एहसास दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ पहचान दिलाती है जज्बातों से अदाओं कि पुकार कोशिश संग राह दिलाती है।

तरानों संग आशाओं कि मुस्कान सपना दिलाती है नजारों को आवाजों कि धून सहारा दिलाती है उजालों से बदलावों कि सोच पहचान संग राह दिलाती है।

तरानों संग आशाओं कि परख सुबह दिलाती है उम्मीदों को किनारों कि मुस्कान दास्तान दिलाती है लम्हों से इशारों कि सौगात रोशनी संग राह दिलाती है।

तरानों संग आशाओं कि कोशिश पहचान दिलाती है दास्तानों को अदाओं कि परख सौगात दिलाती है आशाओं से अंदाजों कि सुबह सरगम संग राह दिलाती है।

तरानों संग आशाओं कि सौगात किनारा दिलाती है खयालों को अंदाजों कि आस अरमान दिलाती है नजारों से सपनों कि समझ एहसास संग राह दिलाती है।

तरानों संग आशाओं कि सोच इशारा दिलाती है अंदाजों को किनारों कि मुस्कान अफसाना दिलाती है आवाजों से इरादों कि सोच उमंग संग राह दिलाती है।

तरानों संग आशाओं कि पुकार सहारा दिलाती है लम्हों को दास्तानों कि सोच एहसास दिलाती है उजालों से दिशाओं कि समझ सौगात संग राह दिलाती है।

तरानों संग आशाओं कि सरगम मुस्कान दिलाती है नजारों को दिशाओं कि अहमियत आस दिलाती है जज्बातों से आवाजों कि धून दास्तान संग राह दिलाती है।

तरानों संग आशाओं कि लहर सोच दिलाती है उम्मीदों को एहसासों कि पुकार रोशनी दिलाती है इशारों से खयालों कि सोच पहचान संग राह दिलाती है।

तरानों संग आशाओं कि आस अरमान दिलाती है उजालों को सपनों कि सौगात एहसास दिलाती है लम्हों से उम्मीदों कि समझ खयाल संग राह दिलाती है।

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