Saturday, 10 February 2024

कविता. ५०७८. खयालों की सरगम अक्सर।

                           खयालों की सरगम अक्सर।

खयालों की सरगम अक्सर तराना सुनाती है नजारों को दिशाओं संग आवाजों की धून अफसाना दिलाती है लम्हों को दास्तानों की मुस्कान सुनाती है।

खयालों की सरगम अक्सर आस सुनाती है जज्बातों को कदमों संग किनारों की अहमियत सुबह दिलाती है उजालों को बदलावों की मुस्कान सुनाती है।

खयालों की सरगम अक्सर अंदाज सुनाती है तरानों को उम्मीदों संग लहरों की समझ कहानी दिलाती है अफसानों को इरादों की मुस्कान सुनाती है।

खयालों की सरगम अक्सर कोशिश सुनाती है एहसासों को लम्हों संग जज्बातों की राह इशारा दिलाती है दास्तानों को कदमों की मुस्कान सुनाती है।

खयालों की सरगम अक्सर सहारा सुनाती है इरादों को आशाओं संग किनारों की पुकार पहचान दिलाती है अंदाजों को राहों की मुस्कान सुनाती है।

खयालों की सरगम अक्सर दास्तान सुनाती है किनारों को सपनों संग बदलावों की रोशनी उमंग दिलाती है बदलावों को इशारों की मुस्कान सुनाती है।

खयालों की सरगम अक्सर आवाज सुनाती है अरमानों को अल्फाजों संग अदाओं की परख आस दिलाती है कदमों को अदाओं की मुस्कान सुनाती है।

खयालों की सरगम अक्सर उम्मीद सुनाती है आशाओं को उजालों संग अंदाजों की सौगात कोशिश दिलाती है दिशाओं को अफसानों की मुस्कान सुनाती है।

खयालों की सरगम अक्सर सुबह सुनाती है इशारों को लम्हों संग आशाओं की रोशनी पहचान दिलाती है आवाजों को अदाओं की मुस्कान सुनाती है।

खयालों की सरगम अक्सर सपना सुनाती है अल्फाजों को एहसासों संग लम्हों की सोच किनारा दिलाती है सपनों को किनारों की मुस्कान सुनाती है।

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